पुस्तक के विषय में
मैं तो किसी पुस्तक को जनता के सामने रखने से पहले हजार बार विचार करूंगा । मैंने एक छोटी-सी पुस्तक 'बालपोथी' लिखी है । उसे पढ़ने बैठूं तो पांच मिनट में पूरी कर दूं । जरा छटा से पढूं तो दस मिनट मे पूरी करूं । उसके बारे में जो टीकाएं, हुई हैं, वे मैंने पढ़ी नहीं हैं । मैं जानता हूं कि बहुत-सी टीकाए मुझे खुश करनेवाली तो होंगी ही नहीं । मेरी स्तुति और निंदा का कोई पार ही नहीं है । इसलिए दोनों का मुझ पर कोई असर नहीं होता । फिर भी इस पुस्तक के पीछे जो विचार है, वह बड़े महत्व का है । यह विचार यह है कि 'शिक्षक मुह से ही शिक्षा दे, पुस्तकों और पाठ्यपुस्तकों द्वारा शिक्षा न दी जाय' । जिस देश में शिक्षा की पाठ्यपुस्तकों का ढेर होता है, उस देश में बालकों के दिमाग में क्या भरा जाता है? शायद भूत ही भरा जाता होगा। वहां बालकों की विचार-शक्ति नष्ट हो जाती है । असंख्य बालकों के अनुभव परसे और अनेक शिक्षकों के साथ हुई बातचीत के आधार पर मेरा यह निश्चय बना है ।
मैं बालकों के हाथ में कोई पाठ्यपुस्तक नहीं रखना चाहता । खुद शिक्षको को पाठ्यपुस्तकें पढ़नी हों तो वे भले पढ़ें । शिक्षकों के लिए हम जितना भी चाहें, लिखें । लेकिन बालकों के लिए लिखेंगे, तो शिक्षकों को हम यांत्रिक बना देंगे । इससे शिक्षकों की शोधक-शक्ति और स्वतंत्रता नष्ट हो जाएगी ।-गाधीजी (ता. 1 .8. 1924 के दिन अहमदाबाद में हुई राष्ट्रीय शिक्षा-परिषद् के सामने दिये गये गाधीजी के गुजराती भाषण से ।)
गांधीजी ने यह बालपोथी दरअसल गुजराती में लिखी थी । यह क्यों लिखी गई, इसके पीछे उनकी दृष्टि क्या थी, आदि के बारे में स्वयं गांधीजी ने और स्व. महादेवभाई, श्री काकासाहब और श्री नरहरिभाई ने विस्तार से लिखा ही है । यहां पर शिक्षा-पद्धति में बहुत ही बड़ी क्रांति गांधीजी ने सूचित की है । केवल गुजरात के ही नहीं, अपितु समूचे देश के शिक्षा-शास्त्री इस पर सोच सकें, इस हेतु से इस बालपोथी का हिंदी संस्करण प्रकाशित किया गया है ।
मूल गुजराती का अनुवाद श्री काशीनाथ त्रिवेदी ने किया है ।
सूची |
||
बालपोथी के बारे में (बापू का पत्र) |
छह |
|
महादेव देसाई का अनुरोध |
सात |
|
बालपोथी की बुनियाद (कासाहेब कालेलकर) |
नौ |
|
नरहरि पारीख की जवाब |
तेरह |
|
कैसे करें बालपोथी का उपयोग |
पंद्रह |
|
बालपोथी |
||
1 |
सबेरा |
3 |
2 |
दातौन |
5 |
3 |
भजन की तैयारी |
7 |
4 |
भजन |
9 |
5 |
कसरत |
11 |
6 |
कातने का आनंद |
13 |
7 |
चरखा |
15 |
8 |
स्वच्छता |
17 |
9 |
बुरी आदतें |
19 |
10 |
खेत और बाड़ी |
21 |
11 |
घर का काम |
23 |
12 |
प्रभु की महिमा |
29 |
बापू का प्रिय भजन |
31 |
|
एकादश व्रत |
32 |
पुस्तक के विषय में
मैं तो किसी पुस्तक को जनता के सामने रखने से पहले हजार बार विचार करूंगा । मैंने एक छोटी-सी पुस्तक 'बालपोथी' लिखी है । उसे पढ़ने बैठूं तो पांच मिनट में पूरी कर दूं । जरा छटा से पढूं तो दस मिनट मे पूरी करूं । उसके बारे में जो टीकाएं, हुई हैं, वे मैंने पढ़ी नहीं हैं । मैं जानता हूं कि बहुत-सी टीकाए मुझे खुश करनेवाली तो होंगी ही नहीं । मेरी स्तुति और निंदा का कोई पार ही नहीं है । इसलिए दोनों का मुझ पर कोई असर नहीं होता । फिर भी इस पुस्तक के पीछे जो विचार है, वह बड़े महत्व का है । यह विचार यह है कि 'शिक्षक मुह से ही शिक्षा दे, पुस्तकों और पाठ्यपुस्तकों द्वारा शिक्षा न दी जाय' । जिस देश में शिक्षा की पाठ्यपुस्तकों का ढेर होता है, उस देश में बालकों के दिमाग में क्या भरा जाता है? शायद भूत ही भरा जाता होगा। वहां बालकों की विचार-शक्ति नष्ट हो जाती है । असंख्य बालकों के अनुभव परसे और अनेक शिक्षकों के साथ हुई बातचीत के आधार पर मेरा यह निश्चय बना है ।
मैं बालकों के हाथ में कोई पाठ्यपुस्तक नहीं रखना चाहता । खुद शिक्षको को पाठ्यपुस्तकें पढ़नी हों तो वे भले पढ़ें । शिक्षकों के लिए हम जितना भी चाहें, लिखें । लेकिन बालकों के लिए लिखेंगे, तो शिक्षकों को हम यांत्रिक बना देंगे । इससे शिक्षकों की शोधक-शक्ति और स्वतंत्रता नष्ट हो जाएगी ।-गाधीजी (ता. 1 .8. 1924 के दिन अहमदाबाद में हुई राष्ट्रीय शिक्षा-परिषद् के सामने दिये गये गाधीजी के गुजराती भाषण से ।)
गांधीजी ने यह बालपोथी दरअसल गुजराती में लिखी थी । यह क्यों लिखी गई, इसके पीछे उनकी दृष्टि क्या थी, आदि के बारे में स्वयं गांधीजी ने और स्व. महादेवभाई, श्री काकासाहब और श्री नरहरिभाई ने विस्तार से लिखा ही है । यहां पर शिक्षा-पद्धति में बहुत ही बड़ी क्रांति गांधीजी ने सूचित की है । केवल गुजरात के ही नहीं, अपितु समूचे देश के शिक्षा-शास्त्री इस पर सोच सकें, इस हेतु से इस बालपोथी का हिंदी संस्करण प्रकाशित किया गया है ।
मूल गुजराती का अनुवाद श्री काशीनाथ त्रिवेदी ने किया है ।
सूची |
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बालपोथी के बारे में (बापू का पत्र) |
छह |
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महादेव देसाई का अनुरोध |
सात |
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बालपोथी की बुनियाद (कासाहेब कालेलकर) |
नौ |
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नरहरि पारीख की जवाब |
तेरह |
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कैसे करें बालपोथी का उपयोग |
पंद्रह |
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बालपोथी |
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1 |
सबेरा |
3 |
2 |
दातौन |
5 |
3 |
भजन की तैयारी |
7 |
4 |
भजन |
9 |
5 |
कसरत |
11 |
6 |
कातने का आनंद |
13 |
7 |
चरखा |
15 |
8 |
स्वच्छता |
17 |
9 |
बुरी आदतें |
19 |
10 |
खेत और बाड़ी |
21 |
11 |
घर का काम |
23 |
12 |
प्रभु की महिमा |
29 |
बापू का प्रिय भजन |
31 |
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एकादश व्रत |
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