| Specifications |
| Publisher: National Book Trust India | |
| Author Shivaji Srivastava | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 155 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 Inch | |
| Weight 210 gm | |
| Edition: 2025 | |
| ISBN: 9789367198339 | |
| HBY037 |
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भारत के क्रांतिकारी
आंदोलन में जिन नौजवानों की सक्रिय सहभागिता रही उनमें डॉ. भगवानदास माहौर का नाम भी
महत्त्वपूर्ण है। क्रांतिकारी संगठन 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी' के अनुशासित और जुझारू
सैनिक तथा चन्द्रशेखर आजाद के अत्यंत प्रिय एवं विश्वस्त साथी रहे डॉ. भगवान दास माहीर
एक जुझारू क्रांतिकारी होने के साथ ही प्रगतिशील चिंतक, श्रेष्ठ साहित्यकार और अच्छे
संगीतविद भी थे। अपनी किशोरावस्था में ही वे क्रांतिकारी संगठन से जुड़कर चन्द्रशेखर
आजाद जी के संपर्क में आ गए और अंत तक उनके प्रिय एवं विश्वस्त सहयोगी बने रहे। अपने
जीवन के लगभग 15 वर्ष उन्होंने जेल में व्यतीत किए। जेल जीवन के बाद माहौर जी ने रुकी
हुई पढ़ाई जारी की और पीएच.डी. तक की उपाधि प्राप्त की।
डॉ. शिवजी श्रीवास्तव
नवें दशक के चर्चित कथाकार हैं उनकी कहानियाँ 'जाल', 'मांद', 'अजगर' तथा 'कहानियों
और भी हैं' अखिल भारतीय स्तर पर पुरस्कृत हैं। उनका कहानी संग्रह 'यक्ष प्रश्न' अत्यंत
चर्चित रहा है। उनके एक रेडियो नाटक 'ऐसे तो घर नहीं बनता मम्मी' को आकाशवाणी द्वारा
आयोजित 'अखिल भारतीय सर्वभाषा रेडियो नाटक लेखन प्रतियोगिता-1992' के हिन्दी वर्ग में
सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ। डॉ. भगवान दास माहौर के छात्र होने के कारण लेखक को उन्हें
निकट से जानने का अवसर मिला। संप्रति : स्वतंत्र लेखन
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