नोटपैड पर झुका हुआ आदमी जवां, लम्बा और खूबसूरत था। उसकी गहरी आंखे जैसे कुछ सोच रही थी और लिखते वक्त उसके माथे पर तेवर थे। उसके कमरे के बाहर उमरा का शान्त गांव था, जहां कुछ महीने पर एक फिल्म की शूटिंग के दौरान आग लग गई थी। पर उसके ख्याल कहीं और उस औरत के साथ थे जिसका चेहरा और नाम सभी के लिये जाना पहचाना है।
उसकी शोहरत ने उसे दुविधा में डाल रखा था। वह सोच रहा था कि काश वह एक मशहूर अभिनेत्री न होकर कोई साधारण महिला होती; उसके लिये वह ऐसी महिला थी जिससे वह प्यार करता था। वह अपने प्यार के बारे में बात न कर सकता था क्योंकि कई लोग उनके सम्बन्धों के खिलाफ थे। प्रैस मौका पाते ही अलग स्कैंडल खड़ा कर देती।
दोनों एक दूसरे को चोरी चोरी ख़त लिखते जिसमें वह उसके नाम की जगह पिया लिखता, नर्गिस नहीं। और नर्गिस की हाज़िरजवाबी बला की तेज थी, वह उसे सुनील नहीं, बल्कि 'हे देअर' बुलाती थी। यह उनके पसंदीदा गाने की पहली लाईन थी: हे देअर ... यू विद द स्टार्स इन यौर आईज ...' कई बार वह उसे 'मैरिलिन मनरो' कह कर बुलाता और वह उसे ऐल्विस प्रैसली।
आज वह अकेला बैठा पिछले कुछ महीनों की यादें लिख रहा था। वह एक कॉपी में एक दूसरे को लिखे सभी खत, सभी पर्चियां और खास पल इकट्ठा करना चाहता था। वह छोटी छोटी बातें के लिये भी जज़्बाती था।
उसने लिखा:
में यह किताब उस आग को समर्पित करता हूं जिसने हमारे तन और मन दोनों को पावन किया और हमें एक दूजे को समझने के काबिल बनाया।
अगले पन्ने पर उसने लिखा:
वह शुक्रवार । मार्च 1957 था, उमरा - बिलिमोरा से 35 मील दूर, अम्बिका नदी के किनारे ... हमने लाल लपटों को गले लगाया आज सुबह 9 बजे, वही जगह, वही हवायें... और वही शुक्र का दिन, पर आज मैं अकेला हूं... न लपटें... न वो शख्सियत, जिसने मेरे दिल में कभी न बुझने वाली आग को सुलगाया था, मैं यह किताब शुरू करता हूं जिसके लफ्ज़ मेरे दिल की आग को जिन्दा रखेंगे, सदा सदा के लिये ...
ल्म 'मदर इंडिया 'की शूटिंग के दौरान अचानक लगी आग की दुर्घटना से उन दोनों का सम्बन्ध शुरू हुआ था। यह वह सीन था जिसमें राधा (नर्गिस) अपने बेटे बिरजू (सुनील) को सूखी घास के अंबार में ढूंढ रही है। नर्गिस ने किसी डुप्लिकेट से सीन करवाने के लिये इन्कार कर दिया था और नर्गिस की सुरक्षा के सब उपाय कर लिये गये थे। पर अचानक हवा का रुख बदल गया। फिल्म में काम करने वाले सभी लोग मुंह खोले हैरानी से ताकते रह गये, पर सुनील उसको बचाने के लिये भाग कर आग में कूद पड़ा। वह उसे बाहर तो ले आया पर दोनों आग से बुरी तरह झुलस गये थे।
नर्गिस का हाथ जल गया था और सुनील का पूरा चेहरा, छाती और दोनों हाथ। किसी अभिनेता के लिये, जिसका खूबसूरत चेहरा ही उसका भाग्य होता है, अपनी किस्मत इस तरह दांव पर लगाना असाधारण बात थी। पर सुनील जैसे असाधारण शख्स ने यह कर दिखाया था और नर्गिस ने उसका यह गुण देख लिया था।
सैट से 35 किमीः दूर, बिलीमोरा के शान्त वातावरण में, जब दोनों ठीक हो रहे थे, तो उसने महसूस किया कि नर्गिस ने उसके दिल में कभी न बुझने वाली आग सुलगा दी है। वही शख्सियत थी जिसे वह ताउम्र प्यार करना चाहता था और संयोग से - यही वह शख्स था जिसका नर्गिस जिन्दगी भर का साथ चाहती थी।
हैरानी की बात यह है कि उनकी प्रेम कहानी बहुत कम लोगों को ठीक वक मालूम है। लोग कहते थे और आज भी कहते हैं कि नर्गिस को सुनील की परवाह ही नहीं थी, राज कपूर से सम्बन्ध बिगडने के बाद उसके पास सुनील से शादी करने के सिवाय और कोई चारा ही नहीं था। कुछ लोग कहते हैं कि सुनील ने नर्गिस से इसलिये शादी की क्योंकि वह मशहूर अभिनेत्री थी।
अफवाहें उड़ाने वाले गलत निकले।
16 मार्च 1957 को नर्गिस ने अपनी डायरी में लिखा:
मैंने हमेशा यह महसूस किया है कि अगर कभी कुछ हुआ तो मेरे लिये ढोल नगाडे बजाये जायेंगे हां। मार्च 1957 को मेरे लिये ढोल नगाडे बजे; शुक्र है खुदा का वे बजते बजते फटे नहीं बल्कि पहले ही शान्त हो गये - मेरी मौत पर वे पक्का बजते बजते फट ही जायेंगे। सुनील और मैं मौत के मुंह से बाल बाल बच निकले। मदरइंडिया की शूटिंग चल रही थी और आग का सीन फिल्माया जाना था। शूटिंग के दौरान में चारों तरफ से आग में घिर गई। मुझे लोगों की आवाजें आ रहे थी पर रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था। मेरे अंदर की आवाज ने मुझे वहीं रुकने को कहा क्योंकि 'वह' मुझे बाहर निकालने आ रहा था और मुझे वहां न देख मायूस हो जायेगा। मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। अचानक मुझे किसी की छुअन का अहसास हुआ।
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