| Specifications |
| Publisher: Penguin Books India Pvt. Ltd. | |
| Author Sadhguru Jaggi Vasudev | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 341 | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 inch | |
| Weight 290 gm | |
| Edition: 2021 | |
| ISBN: 9780143453635 | |
| HBR366 |
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विश्व की अधिकतर संस्कृतियों में मृत्यु पर चर्चा को अशुभ माना जाता है। लोग इसके बारे में बात करने से भी बचना चाहते हैं। लेकिन अगर मृत्यु विनाशक न होकर, जीवन के एक अहम पहलू के रूप में, हमारे सामने भरपूर आध्यात्मिक संभावनाएँ लेकर खड़ी हो जाए तो? और यदि मृत्यु से जुड़ी हमारी सभी मान्यताएँ गलत साबित हो जाएँ तो? पहली बार कोई मृत्यु के बारे में ठीक यही बात कह रहा है।
इस अनूठी पुस्तक में, सद्गुरु मृत्यु के अनकहे, अनजाने पहलुओं पर चर्चा करते हुए, अपने आंतरिक अनुभव से इसके कई रहस्यों को उजागर कर रहे हैं। व्यावहारिक स्तर पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए, वे हमें बताते हैं कि हम कैसे एक अच्छी मृत्यु की तैयारी कर सकते हैं, एक मरते इंसान के लिए हम सबसे अच्छी चीज़ क्या कर सकते हैं और मृत्यु के बाद मृतक की आगे की यात्ना को सुखद बनाने के लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं।
चाहे कोई आस्तिक हो या नास्तिक, कोई भक्त हो या ज्ञानी, कोई साधक हो या भोगी, यह पुस्तक उन सभी के लिए है, जो एक दिन मरेंगे।
सद्गुरु एक आधुनिक गुरु, दिव्यदर्शी, और एक योगी है। विश्व शांति और खुशहाली की दिशा में निरंतर काम कर रहे सद्गुरु के रूपांतरणकारी कार्यक्रमों से दुनिया के करोड़ों लोगों को एक नई दिशा मिली है। 2017 में भारत सरकार ने सद्गुरु को पद्मविभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।
सद्गुरु ने योग के गूढ़ आयामों को आम आदमी के लिए इतना सहज बना दिया है कि हर व्यक्ति उस पर अमल कर के अपने भाग्य का स्वामी खुद बन सकता है। सद्गुरु जितनी गहराई से आंतरिक अनुभव एवं ज्ञान से जुड़े हैं, उतनी ही गहराई से सांसारिक मुद्दों से भी। अध्यात्म के ऊपर सद्गुरु की दक्षता उनके गहन आंतरिक अनुभव का ही परिणाम है, जिससे वे अध्यात्म की खोज करने वालों का मार्गदर्शन करते हैं।
सद्गुरु को दुनिया के प्रतिष्ठित मंचों पर मानवाधिकार, कारोबार मूल्यों और सामाजिक, पर्यावरण और अध्यात्म संबंधी विविध मुद्दों पर बोलने के लिए बुलाया जाता है। एक प्रमुख वक्ता के रूप में, सद्गुरु ने संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में मानव कल्याण जैसे मुद्दों को संबोधित किया है। इसके अतिरिक्त वे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, लंदन बिज़नेस स्कूल, वर्ल्ड प्रेसिडेंट आर्गेनाइजेशन, हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स (यूके) संयुक्त राष्ट्र संघ मिलेनियम शांति सम्मेलन और विश्व शांति कांग्रेस का भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
सद्गुरु ईशा फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं, जो पिछले तीन दशकों से व्यक्तिगत और विश्व कल्याण को समर्पित एक गैर लाभकारी संगठन है।
सद्गुरु जीवन के हर पहलू को एक उत्सव की तरह जीते हैं। उनकी रुचि जीवन के लगभग हर क्षेत में है- शिल्प और डिज़ाइन, काव्य और चित्रकला, खेल और संगीत, पर्यावरण और कृषि। ईशा योग केंद्र में स्थापित कई भवनों के वे डिज़ाइनर हैं, जो अपनी अनूठी कलात्मकता के लिए विख्यात हैं। एक योगी व दिव्यादर्शी के रूप में, उन्होंने इस पूरे योग केंद्र की प्राण प्रतिष्ठा की है, जो आत्म-रूपांतरण के लिए एक पवित स्थान है।
प्राचीनता से आधुनिकता में सहज विचरते हुए, ज्ञात और अज्ञात के बीच एक सेतु बन कर, सद्गुरु अपने सान्निध्य में आने वाले हरेक व्यक्ति को जीवन के गहरे आयामों को खोजने और उनका अनुभव करने के लिए सामर्थ्य बनाते हैं।
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