वो एक ऐसा प्रेम-प्रसंग था जिसकी इजाजत न धर्म देता था, न समाज ऊपर से प्रेमी और प्रेमिका दोनों शादीशुदा ! ये ऐसी विस्फोटक स्थिति थी। जिसका कोई हौलनाक अंजाम होके रहना था होके ही रहा। दरिया में तैरती किश्ती में दोनों की कत्लशुदा लाशें पाई गई। खाली मकान का राज फिर भी बरकरार था, किसी की भी समझ से बाहर था।
सुरेन्द्र मोहन पाठक का जन्म 19 फरवरी, 1940 को पंजाब के खेमकरण में हुआ था। विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल करने के बाद उन्होंने भारतीय दूरभाष उद्योग में नौकरी कर ली। युवावस्था तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय लेखकों को पढ़ने के साथ उन्होंने मारियो पूजो और जेम्स हेडली चेत्र के उपन्यासों का अनुवाद शुरू किया। इसके बाद मौलिक लेखन करने लगे।
सुरेन्द्र मोहन पाठक के प्रसिद्ध उपन्यास असफल अभियान और खाली वार थे, जिन्होंने पाठक जी को प्रसिद्धि के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंचा दिया। इसके पश्चात उन्होंने अभी तक पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उनका पैंसठ लाख की डकैती नामक उपन्यास अंग्रेज़ी में भी छपा और उसकी लाखों प्रतियाँ बिकने की खबर चर्चा में रही। उनकी अब तक 305 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और उनका विमल सिरीज का नवीनतम उपन्यास में अपराधी जन्म का प्रकाशन की राह पर है।
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