| Specifications |
| Publisher: Sangeet Karyalaya, Hathras | |
| Author: भगवत शरण शर्मा: (Bhagwat Sharan Sharma) | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 192 | |
| Cover: Hardcover | |
| 7.5 inch X 5.0 inch | |
| Weight 190 gm | |
| Edition: 2019 | |
| ISBN: 8185057494 | |
| HAA229 |
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प्राक्कथन
प्रस्तुत ग्रन्थ भारतीय संगीत का ऐतिहासिक सिंहावलोकन और उसके क्रमिक विकास का दिग्दर्शन कराने की दृष्टि से लिखा गया है । गत कुछ दशाब्दियों में भारतीय कलाओं का जो विकास हुआ है, उसका स्वरूप हमारे सम्मुख स्पष्ट है । पाश्चात्य जीवन को हमारी संस्कृति से जो नयी दिशाएँ प्राप्त हुई हैं, वे भी किसी से छिपी नहीं हैं । आक्रान्ताओं के भय से संगीत के जो ग्रन्थ दुर्बोध और गुप्त हो गए थे, उनका प्राकट्य अब होने लगा है । भारतीय वेदोक्त ध्वनि के आविर्भाव ने संसार को भारत की ओर पुन आकृष्ट किया है, यह भारत के लिए गौरव की बात है ।
आक्रान्ताओं की कोपभाजन प्रस्तर शिल्प कृतियाँ भारतीय प्राचीन संस्कृति की सुदृढ़ भित्ति का संदेश आज भी दे रही हैं । भारतीय संगीत का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है और उसकी एक एक शाखा पर विस्तारपूर्वक अनेंक बृहत ग्रन्थों का प्रणयन हो सकता है । परन्तु आज का विद्यार्थी संक्षेप में उसकी एक झाँकी करने को व्यग्र है । इस दृष्टिकोण को लेकर बोलचाल की सरल भाषा में मैंने इस ग्रन्थ को प्रस्तुत किया है ।
प्राचीन तथा छिन्न भिन्न ऐतिहासिक सूत्रों को एकबद्ध करना वैसे ही कठिन कार्य है, फिर संगीत जैसी कला पर सप्रमाण ऐतिहासिक दृष्टि प्रदान करना तो और भी दुष्कर है । भारतीय काल निर्णय को पूर्ण मान्यता प्राप्त न होना भी इसमें एक बड़ा अवरोध है ।
भारतीय दृष्टि से सगीत का उद्गम वेद है । जो संगीत वेदों में मार्गण अथवा अन्वेषण का परिणाम है, उसे मार्ग कहा गया है । यह मार्ग सगीत सनातन है, शाश्वत है और सार्वभौम है । लोकरुचि के अनुसार मनोरंजन की दृष्टि से परिवर्तित होनेवाला संगीत देशी पै ।
नाद जनित आनन्द का कोई अन्त नहीं, इसीलिए शास्त्र कारों ने अपने चिंतन और अनुसन्धान द्वारा जिन नियमों का निर्देश किया है, वे हमारे लिए बन्धन न होकर आनन्द के प्रेरक और स्रोत हैं । उनकी अवहेलना हमारी प्रगति में बाधक ही सिद्ध होगी, साधक नहीं । नवीन की खोज में भागनेवाला विज्ञान और बुद्धि धीरे धीरे उन्हों परिणामों को आज प्राप्त करती जा रही है, जो हमारे महर्षियों द्वारा पूर्व में ही प्रति पादित हो चुके हैं । इसीलिए उन महर्षियों को हम आप्त कहते हैं, जिनके समक्ष भूत, भविष्य और वर्तमान, तीनों ही हस्तामलकवत् थे । फिर भी इतिहास के जिज्ञासु को आज सप्रमाण और प्रत्यक्ष बातों से प्रसन्न करना होगा । पिछले एक सहस्र वर्षों में भारतीय संगीत का जो स्वरूप आक्रांता जाति के आग्रह से विकृत हुआ, उसका परिणाम यही है कि इतिहास और प्रमाणों से हमारी आस्था उठ चुकी है । उस आस्था को जोड़ने और पृष्ट करने के लिए हमें अपनेस्वार्णिम इतिहास पर पूर्वाग्रह से मुक्त होकर विशद दृष्टि डालनी होगी ।
यह ग्रन्थ भारतीय संगीत के इतिहास को एक नए क्रम से प्रस्तुत कर रहा है, अत प्रत्येक काल और भारतीय संगीत के प्रकारों को अलग अलग ऐतिहासिक रूप से संजोया गया है । अनुसंधान में प्रवृत्त होनेवाले संगीत प्रेमी, विशेषतया आज का सगीत विद्यार्थी इसे सरलतापूर्वक हृदयंगम कर सकेगा और उसे कोई उलझन नहों होगी ।
कृति के निर्माण में सदैव कोई न कोई प्रेरणा ही कार्य करती है । एक संगीत शिक्षक होने के नाते संगीत के विद्यार्थियों से मेरा संपर्क पुराना है । संगीत परीक्षाओं की कठिनाइयों से मैं सदैव अवगत रहा हूँ । इस ग्रन्थ के पीछे मूल प्रेरक वृत्ति यही रही है, यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं । सगीत के विभिन्न पाठ्यक्रमों में यह ग्रन्थ सहायक सिद्ध होगा, ऐसी मुझे पूर्ण आशा है । यदि इस प्रकाशन का कोई सुफल निकला तो वह भगवती के अर्पण ही होगा, जो विद्यादायिनी और संगीत की अधिष्ठात्री देवी है ।
सूचीमुख
| पूर्वयुग 1 भारतीय संगीत की प्राचीनता | |
| संगीत की प्राचीनता | 17 |
| संगीत के जन्म के विषय में मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण | 19 |
| संगीत के जन्म में प्रकृति की सहायता | 20 |
| भारतीय प्राचीन संगीत | 24 |
| पूर्वयुग 2 वैदिक युग प्रथम शताब्दी तक | |
| वैदिक काल में संगीत | 29 |
| पौराणिक युग में संगीत | 33 |
| जैन साहित्य में संगीत | 35 |
| बौद्ध काल में संगीत | 36 |
| महाकाव्य काल मे संगीत | 37 |
| मौर्य काल मे सगीत | 42 |
| अशोक | 44 |
| शुग काल | 45 |
| निष्कर्ष | 47 |
| पूर्वमध्ययुग 1 तीसरी शताब्दी तक | |
| कनिष्क काल में संगीत | 48 |
| भारत की प्राचीन मूर्तियों में संगीत | 49 |
| पीतलखोड़ा की गुफाएँ | 50 |
| स्तूपों पर संगीत | 51 |
| भुवनेश्वर में मूर्तियाँ | 52 |
| जावा की मूर्तियाँ | 54 |
| संगीत के तीर्थस्थान | 54 |
| पूर्वमध्ययुग 2 सातवी शताब्दी तक | |
| गुप्त काल में संगीत | 57 |
| फाह्यान | 60 |
| इस काल के अन्य विद्वान | 61 |
| भारतीय संगीत का स्वर्ण युग | 62 |
| हर्षवर्द्धन | 64 |
| हेनसांग | 64 |
| पूर्वमध्ययुग 3 बारहवीं शताब्दी तक | |
| राजपूत काल | 66 |
| घरानों का प्रारम्भ | 67 |
| मुसलिम प्रवेश काल में संगीत | 69 |
| निष्कर्ष | 71 |
| पूर्वमध्ययुग 3 बारहवीं शताब्दी तक | |
| राजपूत काल | 66 |
| घरानों का प्रारम्भ | 67 |
| मुसलिम प्रवेश काल में संगीत | 69 |
| निष्कर्ष | 71 |
| मध्ययुग 3 पन्द्रहवीं शताब्दी तक | |
| अलाउद्दीन खिलजी | 73 |
| रज़िया सुलताना | 73 |
| खुसरो | 74 |
| तुग़लक काल (गयासुद्दीन तुगलक) | 74 |
| मुहम्मद तुग़लक | 74 |
| लोदी काल | 76 |
| चाँद बीबी | 77 |
| मुगल काल 1, सत्रहवीं शताब्दी तक | |
| बाबर | 78 |
| हुमायूँ | 80 |
| निष्कर्ष | 81 |
| मुगल काल 2 अठारहवीं शताब्दी तक | |
| राजा मानसिंह तोमर | 82 |
| बैजू | 83 |
| गोपाल नायक | 84 |
| अकबर | 85 |
| स्वामी हरिदास | 87 |
| तानसेन | 88 |
| वल्लभ सम्प्रदाय | 89 |
| जहाँगीर | 91 |
| नूरजहाँ | 92 |
| मुगल काल 3 | |
| शाहजहाँ | 94 |
| औरंगजेब | 98 |
| ज़ेबुन्निसा | 100 |
| मुहम्मदशाह रँगीले | 100 |
| मध्यकालीन तथा प्रान्तीय संगीत | |
| संगीत का अन्य कलाओं पर प्रभाव | 102 |
| प्रान्तीय लोक संगीत | 105 |
| कश्मीर और लद्दाख | 105 |
| काँगड़ा | 105 |
| हिमालय की तराई | 105 |
| उत्तर प्रदेश | 106 |
| पंजाब | 107 |
| सिंध | 107 |
| गुजरात | 107 |
| सौराष्ट्र | 108 |
| राजस्थान | 108 |
| मध्य प्रदेश | 108 |
| महाराष्ट्र | 109 |
| बंगाल | 11 |
| उड़ीसा | 111 |
| बिहार | 111 |
| आसाम | 113 |
| आधुनिक युग एक, 1947 ई० तक | |
| घराने | 115 |
| तानसेन घराना | 116 |
| सेनिए | 117 |
| कबाल बच्चों का घराना | 118 |
| दिल्ली घराना | 118 |
| आगरा घराना (पहला) | 120 |
| आगरा घराना (दूसरा) | 121 |
| फतेहपुर सीकरी घराना | 121 |
| ग्वालियर घराना | 122 |
| सहारनपुर घराना | 122 |
| सहसवान घराना | 123 |
| अतरौली घराना | 123 |
| सिकन्दराबाद (बुलन्दशहर) घराना | 124 |
| खुर्जा घराना | 125 |
| जयपुर घराना | 125 |
| मथुरा घराना | 126 |
| उन्नीसवीं शताब्दी के कुछ अन्य प्रसिद्ध संगीतज्ञ | 126 |
| कुछ अन्य प्रसिद्ध गायक | 128 |
| कुछ अन्य प्रसिद्ध वादक | 128 |
| कुछ प्रसिद्ध नृत्यकार | 130 |
| संगीत सम्मेलन | 130 |
| रवीन्द्र संगीत | 130 |
| स्कूल ओर कालेज | 130 |
| पत्र पत्रिकाएँ | 131 |
| आधुनिक युग दो 1947 ई० उपरान्त | |
| स्वतन्त्र भारत मे संगीत | 132 |
| राष्ट्रीय गीत का इतिहास | 134 |
| आधुनिक युग तीन | |
| दक्षिण भारत का संगीत | 136 |
| श्रृंगारहार | 145 |
| संगीत समय सार | 145 |
| रिसालए अमीर खुसरो | 145 |
| अभिनय भूषण | 145 |
| आनन्द संजीवन | 145 |
| संगीत सार | 146 |
| विश्व प्रदीप | 146 |
| संगीत मुक्तावली | 146 |
| संगीत दीपिका या सगीत चद्रिका | 146 |
| संगीत चिन्तामणि | 147 |
| संगीत सुधाकर | 147 |
| संगीत शिरोमणि | 147 |
| संगीतराज | 147 |
| कलानिधि | 147 |
| मानकुतूहल | 147 |
| स्वरमेल कलानिधि | 148 |
| सद्रागचन्द्रोदय | 148 |
| रागमाला | 148 |
| रागमंजरी | 149 |
| नतनगिर्णय | 149 |
| रागविबोध | 149 |
| संगीतसुधा | 149 |
| संगीत दर्पण | 150 |
| चतुर्दडिप्रकाशिका | 150 |
| हृदयकौतुक और हृदयप्रकाश | 150 |
| संग्रहचूड़ामणि | 151 |
| संगीतपारिजात | 151 |
| अनूपबिलास | 151 |
| अनूपांकुश | 152 |
| अनूपसंगीतरत्नाकर | 152 |
| रागतत्वबिबोध | 152 |
| संगीतसारामृत | 152 |
| संगीतसार | 153 |
| नगमाते आसफी | 153 |
| रागकल्पद्रुम | 153 |
| रसकौमुदी | 154 |
| मआदनुलमौसीकी | 154 |
| दो यूनिवर्सल हिस्ट्री आफ म्यूजिक | 154 |
| संगीतसार और यंत्रक्षेत्रदीपिका | 154 |
| नादबिनोद | 154 |
| लक्ष्यसंगीत | 155 |
| हिन्दुस्तानी संगीत की एनसाइक्लोपीडिया | 155 |
| रागप्रवेश | 155 |
| गीतसूत्रसार | 155 |
| मारिफुन्नगमात | 155 |
| भारतीय सिने संगीत का इतिहास | |
| प्रसिद्ध संगीत निर्देशक | 158 |
| प्रसिद्ध गायक गायिकाएँ | 161 |
| प्रसिद्ध पार्श्व गायिकाएँ | 162 |
| प्रसिद्ध पार्श्व गायक | 165 |
| प्रसिद्ध गीत लेखक | 166 |
| भारतीय स्वरों का इतिहास पृष्ठ 168 से 174 तक | |
| भारतीय वाद्यों का इतिहास | |
| अवनद्ध वाद्य | 175 |
| सुषिर वाद्य | 177 |
| तत वाद्य | 178 |
| वितत वाद्य | 180 |








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