पुस्तक में वेदों के आधारभूत मन्त्रों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है। इसमे प्राचीन शास्त्रों जैसे- गीता, बाइबिल व उपनिषदों आदि के भी उद्धरण दिए गए हैं, जिसे एक साधारण पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी समझ सकता है। विभिन्न मनीषियों के विचारों को प्रस्तुत करने के साथ ही राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (N.C.E.R.T) द्वारा निर्मित राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के सन्दर्भों को वर्णित करके बच्चों के सहज व स्वस्थ मानसिक विकास के लिए कार्यायोजना भी दी गई है। पातञ्जलयोगदर्शन के मूल श्लोकों को देकर उनकी सरल हिन्दी में व्याख्या भी दी गई है। मन का प्रभाव मनुष्य की हर गतिविधि पर पड़ता है। सम और विषम दोनों ही परिस्थितियों में मन को कैसे प्रसन्न रखा जाए, इस सम्बंध में विभिन्न शास्त्रों और मनीषियों के चिन्तन को प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक पाठकों को सकारात्मक विचारधारा की ओर प्रेरित करके समाज का कल्याण करने में अहम भूमिका निभाएगी, ऐसा विश्वास है।
डॉ. शोभा अग्रवाल 'चिलबिल'
कार्य : सेवानिवृत्त अध्यापिका, केन्द्रीय विद्यालय ।
नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया, साक्षरता निकेतन, आत्माराम एण्ड संस एवं अन्य प्रकाशनों द्वारा 104 पुस्तकें प्रकाशित ।
लेखिका द्वारा लिखित 'बाल विकास एवं पूर्व प्राथमिक शिक्षा' पुस्तक पर विचार-विमर्श हेतु राजस्थान सरकार ने लेखिका को बुलाया। पुस्तक प्रकाशित होने पर प्रदेश के समस्त आँगनबाड़ी केन्द्रों में वितरित किया।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा-'मानव अधिकार व कर्त्तव्य एवं महिलाएँ' 'परीक्षा का भय-कारण एवं निवारण' तथा 'रामराज्य (आदर्शराज्य) आज भी सम्भव है' पुस्तकें पुरस्कृत । समग्र बाल साहित्य पर वर्ष 2017 के बाल साहित्य सम्मान से सम्मानित ।
* 'राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की' (जल शक्ति मंत्रालय) द्वारा 'जल संसाधन-समग्र विवेचन' पुस्तक पुरस्कृत ।
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