मैं इस पुस्तक के लिए महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आदरणीय श्री सी.पी. राधाकृष्णन जी के निरंतर प्रोत्साहन और आशीर्वाद स्वरूप उनके द्वारा किये असाधारण उपकार के प्रति हृदय से सदैव ही कृतज्ञ रहूँगी कभी भी उऋण नहीं हो पाऊँगी।
मैं जीवन को आसान बनाने, आशीर्वादित करने एवं अलौकिक मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए अपने आध्यात्मिक शिक्षक श्री दिनेश कुमारजी के प्रति पूर्ण अंतःकरण से आभार व्यक्त करती हूँ। वास्तुकला की अद्भुत एवं आकर्षक दुनिया से परिचित कराने, वास्तु एवं स्थापत्य के क्षेत्र में मेरी रुचि जागृत करके मंदिर वास्तुकला की मेरी अन्वेषणपूर्ण यात्रा को सक्षम बनाने के लिए में अपने सभी शिक्षकों को मनःपूर्वक धन्यवाद प्रेषित करती हूँ। मैं एस.एम.एम.सी.ए. में अपने सभी सहयोगियों की आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे मंदिर वास्तुकला के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मैं अत्यंत प्रतिष्ठित साप्ताहिक पत्रिका 'ऑर्गनाइजर' के सम्पादक श्री प्रफुल्ल केतकर एवं सम्पूर्ण प्रकाशन मंडल की अत्यधिक आभारी हूँ कि उन्होंने मेरे ब्लॉग को प्रत्येक सप्ताह नियमित रूप से प्रकाशित करके अपनी पत्रिका में स्थान दिया। मैं इस पुस्तक के हिन्दी संस्करण की प्रकाशन प्रक्रिया के लिए किये गए, अथक प्रयत्नों एवं अनवरत प्रयासों के लिए संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष एवं भारतीय ज्ञान, संस्कृत एवं योग केंद्र के निदेशक, डॉ. जितेंद्र कुमार तिवारी के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ।
मेरी पुस्तक 'Temples of Bharat' A Journey through Time, Art, Architecture & Culture का यह हिंदी संस्करण 'भारतीय मंदिर' समय, वास्तुकला एवं संस्कृति के मूर्तिमान स्तम्भ संभव नहीं हो पाता यदि डॉ. मेरुप्रभा मिश्रा ने पुस्तक का सरल, स्पष्ट, दोषरहित, तारताम्यतापूर्ण एवं भावाभिव्यक्तिपूर्ण शैली में अनुवाद नहीं किया होता। मैं अपने परिवार, मेरे पिताजी स्वर्गीय श्री प्रभाकर जोशी एवं माताजी श्रीमती कमल जोशी के निश्छल प्रेम एवं प्रोत्साहन को कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार करती हूँ। मेरी माँ ने मुझे आध्यात्मिक जुड़ाव की अद्भुत शक्ति के महत्त्व से अवगत कराया। जिससे मुझे आध्यात्मिकता के लिए एक अंतर्दृष्टि विकसित करने में सहायता मिली। मैं अपनी अंतरात्मा से उन दोनों के प्रति कोटिशः धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ।
अंततः मैं अपनी व्यक्तिगत जीवन-यात्रा और सम्पूर्ण भारत भ्रमण की अवधि में मंदिरों की खोज की दीर्घ यात्रा के मार्ग में मेरे सहचर एवं सहयात्री के रूप में श्री शिरीष चक्रदेव की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए कितनी भी सराहना करू, कम होगी। जीवन के प्रत्येक अवसर पर उनके द्वारा दिए गए साथ के प्रति में हृदय से आभारी हूँ।
पुस्तक को सावधानीपूर्वक डिजाइन और संपादित करने के लिए श्री सुरेश सिंह के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ। प्रतिभा प्रकाशन, दिल्ली के श्री डॉ. राधेश्याम शुक्ल के कारण यथासमय प्रकाशन संभव हो सका, मैं उन्हें और उनके प्रकाशन मंडल को हार्दिक धन्यवाद देती हूँ। अंतिम, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि, मैं विभिन्न ऑनलाइन संसाधनों, वेबसाइटों और पोर्टलों के सक्रिय एवं सार्थक योगदान को स्वीकार करती हूँ, जहाँ से प्राप्त कुछ मंदिरों की छवियों का उपयोग इस पुस्तक में किया गया है।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist