भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की "विक्रम साराभाई मौलिक पुस्तक लेखन योजना" के अंतर्गत इस पुस्तक का लेखन किया गया है। इसरो के अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित किए जा रहे विभिन्न सामाजिक अनुप्रयोगों, उनके सामाजिक प्रभाव और अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, इसरो द्वारा आउटरीच गतिविधियों के बारे में हिंदी भाषा में सीमित जानकारी उपलब्ध है। अतः इस पुस्तक के माध्यम से जनमानस तक सरल भाषा में यह जानकारी उपलब्ध कराने का विनम्र प्रयास किया गया है।
सामाजिक अनुप्रयोगों से संबंधित कार्य एवं संचालन अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकर के अंतर्गत तत्कालीन विकास एवं शैक्षणिक संचार यूनिट (डेकू) द्वारा निष्पादित किए गए। वर्ष 2023 में डेकू का विलय अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक), अहमदाबाद में किया गया। तत्पश्चात इन सभी कार्यों का संचालन सैक द्वारा किया जा रहा है। पुस्तक के सभी अध्याय इसरो/अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदावाद के वैज्ञानिकों/अधिकारियों द्वारा लिखे गए हैं।
इस पुस्तक के प्रथम अध्याय में लेखकों डॉ. दीप चन्द्र, सुश्री सिल्पा पीएस एवं डॉ. आभा छाबरा ने इसरो के सामाजिक अनुप्रयोगों की विस्तृत जानकारी एवं इनके संचालन में "सैक/डेकू" की भूमिका को बताया है। दूसरे अध्याय में लेखकों श्री जयरव जनसारी एवं श्री पुनीत सिंघवी ने सामाजिक अनुप्रयोगों जैसे दूर-शिक्षा और अन्य अनुप्रयोगों की पृष्ठभूमि का वर्णन किया है। श्रीमती सिनि सुसन वर्गिस एवं श्रीमती पल्लवी श्रीधर ने तीसरे अध्याय में शिक्षा प्रदान करने हेतु देश में पहली बार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रयोग "साईट" परियोजना की सफलता एवं मूल्यांकन किया है। चौथे अध्याय में डॉ. देवदास एमबी एवं सुश्री-जोनी आर. लैवीन ने इसरो की बहुचर्चित "खेड़ा संचार परियोजना" के संबंध में बताया है।
पाँचवें अध्याय में श्री धर्मेन्द्र तोमर एवं डॉ. वरेन्द्र वर्मा, झाबुआ जिले में उपग्रह संचार के माध्यम से इसरो द्वारा किए गए सामाजिक अनुप्रयोग का वर्णन किया है। छठवें अध्याय में डॉ. दीप चन्द्र एवं श्रीमती गोपिका वी ने देश की ग्रामीण जनता में शिक्षा और सामाजिक जागरुकता बढ़ाने हेतु "प्रशिक्षण एवं विकास संचार चैनल" के माध्यम से लोगों को प्रशिक्षण देने की जानकारी का वर्णन किया है।
श्री रोहित सिंह ने इसरो द्वारा संचालित "दूर-शिक्षा नेटवर्क" का वर्णन सातवें अध्याय में किया है। आठवें अध्याय में लेखक डॉ. नारायण मोहंती ने "इसरो" द्वारा "अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी" के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच बढ़ाने हेतु, देश के विभित्र हिस्सों में दूर-चिकित्सा नेटवर्क का विस्तृत वर्णन किया है।
अंत में नवें अध्याय में लेखिका डॉ. आभा छावरा ने अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं शिक्षा के क्षेत्र में अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (सैक) द्वारा वर्तमान में विभिन्न क्षमता निर्माण एवं आउटरीच से संबंधित कार्यों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की है।
सभी लेखकों ने सरल हिंदी भाषा का प्रयोग करके इस पुस्तक को मूर्त रूप देने में अपना पूर्ण सहयोग दिया है। लेखक यह आशा करते हैं कि यह पुस्तक पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक एवं रुचिपूर्ण सिद्ध होगी।
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