प्रस्तुत पुस्तक श्री आरवेल्लि अनन्तपद्मनाभाचार्युलु द्वारा संस्कृत के स्कन्दपुराण से तेलुगु में अनूदित "कार्तिक महात्म्यमु" का ही हिन्दी अनुवाद है।
इस पुस्तक में तीस अध्याय हैं और हर अध्याय में एक कथा है। ऐसा कहा जाता है कि सभी महीनों में कार्तिक मास श्रेष्ठ है क्योंकि श्रद्धा और भक्ति से भगवान की पूजा अर्चना करके संसार सागर से पार उतरने के लिए यही मास श्रेयस्कर है। इन तीसों अध्यायों में वशिष्ठ महर्षि ने जनक महाराज को कार्तिक मास की विशिष्टता के बारे में बतलाया है।
वशिष्ठ महर्षि ने बतलाया है कि रूप अलग होने पर भी शिव और केशव दोनों एक ही हैं। शिव को सोमवार प्रिय है, जो व्यक्ति सोमवार के व्रत का आचरण करता है उसे शिव लोक की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस कार्तिक मास में किए गए जप, तप, दान श्रेष्ठ फलों को प्रदान करते हैं।
पाठकों की सुविधा के लिए संस्कृत के श्लोकों का अनुवाद भी प्रस्तुत है। इस पुस्तक को पढ़ने-पढ़ानें, सुनने-सुनाने वाले सभी भक्तों को कार्तिक मास के व्रत का फल साथ ही शिव-केशव का अनुग्रह प्राप्त होता है।
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