पुस्तक परिचय
अगर कोई ऐसी शख़्सियत है, जो जिंदादिल है, जिसकी पैनी नज़र है और जिसके लिए ज़िंदगी जीने का नाम है, तो वह शख़्सियत खुशवंत सिंह की ही हो सकती है। खुशवंतनामा में 98 वर्ष के खुशवंत अपने इस सक्रिय जीवन के सफ़र से हासिल सबकों के बारे में बता रहे हैं। बुढ़ापे और मृत्यु का डर हो, सेक्स का आनंद हो, कविता का मज़ा हो या हंसी की अहमियत, इन सभी पर उनके खास अंदाज़ में उनकी टिप्पणियों से यह किताब सजी हुई है। राजनीति, राजनेताओं और भारत के भविष्य जैसे गंभीर विषय पर उनकी राय यहां मौजूद है और वे इसके बारे में भी बताते हैं कि लेखक होने का मतलब क्या होता है और उनके लिए धर्म के क्या मायने हैं। और जब सवाल यह हो कि रिटायरमेंट का सामना कैसे करें और लंबी जिंदगी कैसे जीएं, तो इसके बारे में भी आपको खुशवंत सिंह से बेहतर कौन बता सकता है?
लेखक परिचय
खुशवंत सिंह हिंदुस्तान के मशहूर लेखक और कॉलमिस्ट हैं। वे योजना के संस्थापक-संपादक, और इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया, द नेशनल हेराल्ड और द हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक रह चुके हैं। उन्होंने अनेक पुस्तकें भी लिखी हैं, जिसमें उपन्यास ट्रेन टू पाकिस्तान, डेल्ही और द कंपनी ऑफ वीमन, दो खंडों में लिखा श्रेष्ठ ग्रंथ ए हिस्ट्री ऑफ द सिख्स, और अनेक अनुवाद तथा सिख धर्म तथा संस्कृति, प्रकृति और ज्वलंत समस्याओं पर कथा-इतर साहित्य शामिल है। वर्ष 2002 में उनकी आत्मकथा, टुथ, लव एंड ए लिटिल मैलिस, पहली बार प्रकाशित हुई।
1980-1986 तक खुशवंत सिंह सांसद भी रहे। 1974 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जिसे उन्होंने 1984 में भारतीय सेना के स्वर्ण मंदिर में घुसने के विरोध में वापस कर दिया था। खुशवंत सिंह का निधन 2014 में हुआ, जब वे अपनी जिंदगी के 99 साल पूरे कर चुके थे।