10 अपने भाव व विचारों को वाणी द्वारा व्यक्त करने की शक्ति इंसान को कुदरतन मिली है लेकिन कई बार वह इन्हें व्यक्त करने में असमर्थ होता है। ऐसे समय वह मौन के द्वारा अभिव्यक्त करता है। वस्तुतः भाव, विचार, वाणी और मौन यह बताने के लिए है कि हमारे अंदर एक ऐसा अनोखा तत्व है, जिसके बारे में सुनना, सोचना और अनुभव करना हमें अच्छा लगता है। वह तत्व क्या है? वह कौन सा सत्य है? वह सत्य है शून्य, जो शून्य होते हुए भी परिपूर्ण है। इस पुस्तक के ज़रिए आप उस शून्य की अनुभूति कर पाएंगे और अपने जीवन की रिक्तता को भर पाएंगे।
इस पुस्तक की रचना सवाल-जवाब के आधार पर की गई है, ताकि आप उस शून्य को महसूस कर सकें। कुछ सवालों के जवाब हमारे अंदर के खालीपन को भरते हैं। जबकि इस पुस्तक के जवाब न केवल ख़ालीपन को भरते हैं बल्कि उस ख़ालीपन की अनुभूति भी करवाते हैं।
स्वअनुभव में स्थापित होना व उस अनुभूति को व्यक्त करना ही मानव जीवन का मूल लक्ष्य है। जो जवाब इस उद्देश्य की पूर्ति करते हैं, वे मूल्यवान हैं, चाहे आपने उन्हें पहले कितनी ही बार क्यों न पढ़ा हो। इस पुस्तक में दिए गए जवाब भले ही आप जानते हों, फिर भी आगे बढ़ें, पढ़ते रहें। इस पुस्तक का उद्देश्य सिर्फ़ बौद्धिक ज्ञान को बढ़ाना नहीं है, बल्कि जवाबों के ज़रिए आपको अपने स्व का अनुभव, अपने होने का अनुभव कराना है
। अपने अस्तित्व से लेकर जीवन के अन्य क्षेत्रों में उठने वाले सवालों का समावेश इस पुस्तक में किया गया है। पुस्तक में आधुनिक जीवन से संबंधित सवालों से लेकर प्राचीन काल से चले आ रहे सवाल अंतर्निहित हैं। पुस्तक में दिए गूढ़, आध्यात्मिक और सनातन जवाबों को पढ़कर शून्य को महसूस किया जा सकता है। इस पुस्तक का अधिकतम लाभ उठाने के लिए नीचे चार क़दम दिए गए हैं।
क़दम 1 - सवाल को महसूस करें
पुस्तक में दिए गए सवाल को पहले ठीक से पढ़ें। जिस क्षण आप सवाल पढ़ेंगे, उसी क्षण आपके अंदर सवाल के जवाब के लिए स्थान बन जाएगा। उस स्थान को महसूस करें और अपने अंदर ही जवाब की प्रतीक्षा करें। क़दम 2-जवाब को महसूस करें
पुस्तक में दिए गए जवाब पढ़ें। जैसे ही आप उन्हें पढ़ेंगे, वैसे ही कोई अनुभूति उभरकर आ सकती है। कुछ जवाब आपको गहराई तक, अपने होने के अहसास तक ले जाएंगे। यह शून्य अवस्था है। इस शून्य अवस्था को महसूस करें। कुछ देर तक उस अवस्था में ही रहें, चाहे आप उसे संभ्रमित अवस्था ही क्यों न समझें। कई लोगों के लिए न-मन अवस्था का अहसास यहीं से शुरू होता है। जब आप शून्य का अहसास करेंगे तब आपको पढ़े हुए जवाब से अलग-अलग आयाम महसूस होंगे।
क़दम 3 - जीवन की रिक्तता को भरें
जवाबों के अंदर अपने आपको ढूंढ़ें, अपने आपको जानें। शून्य का अनुभव करके जाने हुए जवाब जीवन में कार्यरूप में उतरते हैं। जो जवाब आपको महत्वपूर्ण लगते हैं, उन्हें एक अंतराल के बाद पुनः पढ़ें। कुछ जवाब ऐसे होते हैं कि उन्हें समझने के लिए कुछ समय इंतज़ार करना पड़ता है। संपूर्ण समझ प्राप्त करने के लिए पहले कुछ बातों को जानना, सीखना व देखना ज़रूरी है। इन तीनों आयामों के द्वारा ही किसी जवाब को पूर्णतः समझा जा सकता है। प्रतीक्षा हमें जवाब पाने योग्य बनाती है।
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