इस पुस्तक को लिखने का विचार मुझे तब आया जब मैंने अपने बच्चों, कौस्तुभऔर श्रेया को अध्ययन के दौरान कठिनाइयों का सामना करते हुए देखा। उनके अध्ययन के प्रति समर्पण, कठिन परिश्रम और जिज्ञासा को देखते हुए मेरे मन में यह विचार आया कि उनके अनुभवों को आधार बनाकर एक ऐसी पुस्तक लिखी जाए, जो न केवल उनकी, बल्कि हर उस छात्र की सहायता कर सके, जो अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने में कठिनाइयों का सामना कर रहा है। इस पुस्तक को लिखने का श्रेय मैं पूरी तरह से अध्ययन कर रहे सभी छात्रों को देती हूँ, क्योंकि उनके अनुभवों और उनके समर्पण ने ही इस कार्य को संभव बनाया।
इस सफर में मेरे पति, श्री सुरेन्द्र कुमार तिवारी, का योगदान अतुलनीय रहा है। उन्होंने न केवल हर कदम पर मेरा साथ दिया, बल्कि अपने अनुभवों और समझ से मुझे मार्गदर्शन भी प्रदान किया। उनके बिना यह यात्रा संभव नहीं थी। उनके प्रोत्साहन और विश्वास ने मुझे कठिन से कठिन समय में आगे बढ़ने की शक्ति दी।
इस पुस्तक को आकार देने में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के विशेष योगदान के लिए मैं उनका धन्यवाद करना चाहती हूँ। उनका सहयोग इस पुस्तक को पाठकों तक पहुँचाने में अनमोल साबित हुआ है। प्रकाशन की प्रत्येक प्रक्रिया में उनके सहयोग के लिए मैं उनकी अत्यंत आभारी हूँ।
इसके अलावा, मैं चित्रकार फजरुद्दीन का भी विशेष आभार व्यक्त करना चाहती हूँ, जिन्होंने अपनी रचनात्मकता से पुस्तक को सुंदर चित्रों से सजीव किया। उनके चित्रांकन ने इस पुस्तक को और अधिक प्रभावशाली और आकर्षक बना दिया है। उनकी कला ने इस पुस्तक को एक नवीन स्वरूप दिया है, और मैं उनकी कलात्मकता की सराहना करती हूँ।
साथ ही, उन सभी प्रियजनों, मित्रों और सहकर्मियों का धन्यवाद देना चाहती हूँ जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस पुस्तक को लिखने में मेरा साथ दिया। उनके सुझावों, मार्गदर्शन और समर्थन ने मुझे हर कदम पर प्रेरित किया। इस यात्रा में आप सभी का सहयोग मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।
मैं उन सभी शिक्षकों, मार्गदर्शकों और विशेषज्ञों का भी आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने मुझे इस पुस्तक को और अधिक उपयोगी एवं प्रेरणादायक बनाने के लिए मार्गदर्शन दिया। आपकी प्रेरणा ने मेरी लेखनी को निखारा और इस पुस्तक को छात्रों के लिए एक अमूल्य साथी बना दिया।
अंत में, उन सभी विद्यार्थियों का आभार व्यक्त करती हूँ, जिनकी जिज्ञासा और सीखने की ललक ने मुझे प्रेरित किया कि मैं एक ऐसी पुस्तक लिखूँ जो उनके शैक्षिक जीवन में एक साथी की भूमिका निभा सके। मेरी कामना है कि यह पुस्तक उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत बने और उन्हें उनके लक्ष्यों की प्राप्ति की राह में सहायता प्रदान करे।
आप सभी का सहयोग और समर्थन मेरे लिए अनमोल है। इस पुस्तक को आपके नाम समर्पित कर, मैं अपने आप को अत्यंत सौभाग्यशाली मानती हूँ।
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