महात्मा गांधी एक सत्य शोधक एवं धर्मप्राण राजनेता थे जिन्होंने मानव जीवन को पूर्णता प्रदान करने वाले सभी बिन्दुओं पर अपने विचार व्यक्त किये। मुख्यतः यह विचार बिन्दु हैं धर्म, दर्शन, इतिहास, राष्ट्र, समाज, कुटुम्ब, स्त्री, पुरूष, युवा, छात्र, राजनेता, राजनीति, किसान एवं व्यवसायी आदि। इन सभी पर उन्होंने विशद चिन्तन कर अपने विचार व्यक्त किये है। गांधीजी सत्य एवं अहिंसा को समस्त समस्याओं का समाधानकारक मानते थे। आज की राष्ट्रीय पारिस्थितिक आलोक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी को सामान्य रूप से समस्त शोषित एवं पीडित मानवता के रक्षक रूप में तथा भौतिक-वादी तथा स्वार्थपरक भावनाओं से ग्रस्त एवं दिग्भ्रान्त भारतवासियों के मार्गदर्शक के रूप में माना जा रहा है।
सभी विद्वतजन इस प्रकार महात्मा गांधीजी के विचार दर्शन की महत्ता को एक मत से स्वीकार करते हैं तथा भारतीय जनमानस के लिये महात्मा गांधी एक पथ प्रदर्शक के रूप में दिखाई देते है।
प्रस्तुत ग्रन्थ भारतीय स्वाधीनता एवं उसके नव निर्माण में महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व का सविस्तार अध्ययन है जो राजनीति, इतिहास एवं ऐतिहासिक अध्ययन के अध्येताओं एवं अन्वेषकों के लिये प्रेरणाप्रद है।
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