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स्मृतियों में नारी- Smrition Mein Nari (Status of Women in the Smritis)

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Specifications
Publisher: Vishwabharati Anusandhan Parishad
Author Bharati Arya
Language: Hindi
Pages: 264
Cover: HARDCOVER
9x6 inch
Weight 420 gm
Edition: 2021
ISBN: 9788185246765
HBO816
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Book Description

प्राक्कथन

वर्तमान समय में विभिन्न संस्कृतियों का संघर्ष चल रहा है। प्रत्येक संस्कृति अपनी उत्कृष्टता सिद्ध करने के लिए प्रयत्नशील है। स्मृतियों के अनुसार भारतीय संस्कृति ने ही विश्व को सांस्कृतिक ज्ञान दिया है। परवर्ती संस्कृतियाँ उसी के फलस्वरूप उद्भूत हुई हैं। इस सांस्कृतिक उत्थान के समय विश्व की नारियों में असाधारण चेतना प्रादुर्भूत हुई है। भारतीय नारियाँ भी इस क्षेत्र में अग्रसर हुई हैं। भारतीय विदुषी नारियाँ अपने अतीत और वर्तमान की उथल-पुथल के चिन्तन में संलग्न हैं। नारियों का प्राचीन इतिहास क्या था और अब वर्तमान में उनकी क्या स्थिति है? इसकी समीक्षा उनके लिए आवश्यक हो गई है। प्राचीन भारतीय नारी की सांस्कृतिक स्थिति का जितना सुन्दर विवेचन स्मृतियों में मिलता है, उतना अन्यत्र नहीं। अतएव समाजशास्त्रीय दृष्टि से स्मृतियों में नारी के अध्ययन का विषय अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रतीत हुआ और उसे ही अपने शोध का विषय बनाने की इच्छा जागृत हुई। मेरे गुरुवर डॉ० हेमचन्द्र जोशी ने इस विषय के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान की। डॉ० जोशी के निर्देशन और उत्साहवर्धन का ही फल है कि यह शोधकार्य पूर्ण हो सका ।

इस शोधकार्य में कुछ विशेष कठिनाइयाँ भी उपस्थित हुईं, परन्तु उनका निराकरण किया गया। स्मृतियों के प्रामाणिक संस्करण प्रायः दुर्लभ हैं। कुछ स्मृतियाँ विभिन्न पुस्तकालयों आदि से प्राप्त की गईं। अब तक मुद्रित पचास स्मृतियाँ प्राप्त हुई हैं। उनका ही सर्वांगीण विवेचन प्रस्तुत किया गया है।

मैंने पूर्ण प्रयत्न किया है कि स्मृतियों में समाजशास्त्रीय दृष्टि से नारी के विषय में जो भी सामग्री मिल सकती है, उसका पूर्ण संकलन किया जाए। कुछ विषय ऐसे हैं, जो प्रायः सभी स्मृतियों में आए हैं और विचारों की समानता है। उन स्थलों पर पाद-टिप्पणी में सबका सन्दर्भ दे दिया गया है। प्रयत्न किया गया है कि विषय से सम्बद्ध कोई तथ्य न छूटने पाए। संस्कार, पाप, प्रायश्चित, वर्णसंकर आदि विषयों पर सामग्री बहुत अधिक थी। सबका विस्तृत विवरण देना इस शोध-प्रबन्ध का विषय नहीं था, अतः इन शीर्षकों में केवल स्त्रियों से सम्बद्ध तथ्य ही दिए गए हैं।

स्मृतियों ने यह स्वीकार किया है कि भारतीय नारियों का अतीत बहुत उत्तम था, परन्तु स्मृतियों में उन्हें उतना उन्नत नहीं प्रस्तुत किया गया है। स्त्रियों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं थी। उन्हें राजनीति में विशेष अधिकार प्राप्त नहीं थे। उन्हें सर्वत्र रक्षणीय बताया गया है। प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध का लक्ष्य है- स्त्रियों में जागृति उत्पन्न करना और उसके द्वारा राष्ट्र की उन्नति के लिए योग्य महिला नागरिकों को प्रबुद्ध करना।

मैं इस शोध-प्रबन्ध के लिए अपने पूज्य गुरु डॉ० हेमचन्द्र जोशी की अत्यन्त कृतज्ञ हूँ, जिनके योग्य निर्देशन के कारण यह कार्य शीघ्र सम्पन्न हो सका । डॉ० अतुलचन्द्र बनर्जी, अध्यक्ष संस्कृत विभाग, गोरखपुर विश्वविद्यालय की भी अत्यन्त कृतज्ञ हूँ कि उन्होंने अपने बहुमूल्य परामर्श यथासमय दिए ।

इस शोध-प्रबन्ध के लेखन और पथप्रदर्शन के लिए अपने पूज्य पिता डॉ० कपिलदेव द्विवेदी की कृतज्ञ हूँ, जिनके मार्गदर्शन से यह कार्य पूर्णता को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर अपनी पूज्या माता स्व० श्रीमती ओम्शान्ति द्विवेदी को भी स्मरण करती हूँ। उनके आशीर्वाद का ही फल है कि यह कार्य पूरा हो सका। यह विषय उन्होंने अपने पी-एच०डी० के शोध के लिए आगरा विश्वविद्यालय से स्वीकृत कराया था, जो उनके निधन के कारण पूरा नहीं हो सका था। उसी विषय को लेकर शोधकार्य पूरा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।

मैं अपने पूज्य श्वशुर श्री सीताराम जी आर्य, प्रधान आर्य-समाज कलकत्ता एवं पतिदेव श्री ओम्प्रकाश आर्य के प्रति भी कृतज्ञता प्रकट करती हूँ, जिन्होंने मुझे कार्य पूर्ण करने के लिए प्रेरित किया तथा गृहकार्य से मुक्त रखकर सभी प्रकार की सुविधाएँ प्रदान कीं ।

शोधकार्य से सम्बद्ध सामग्री संकलन, टंकण आदि में मुझे अपने अनुज डॉ० भारतेन्दु द्विवेदी और धर्मेन्दु द्विवेदी से बहुत अधिक सहयोग मिला है। प्रूफ-संशोधन आदि कार्यों में मेरे अनुज ज्ञानेन्दु, विश्वेन्दु और आर्येन्दु से बहुत सहयोग मिला है। तदर्थ उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करती हूँ।

कार्य की निर्विघ्न समाप्ति के लिए अपने शिशु चि० प्रवीण एवं श्रुति को भी आशीर्वाद देती हूँ। कार्य में सहयोग के लिए अपने अन्य सम्बन्धियों के प्रति भी कृतज्ञता प्रकट करती हूँ।

आशा है इस शोध-प्रबन्ध के द्वारा भारतीय नारी के उदात्त जीवन पर प्रकाश पड़ेगा और यह शोध-प्रबन्ध समाज में नारियों को उच्च सम्मान दिलाने में सहायक सिद्ध होगा ।

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