पुस्तक परिचय
जै न संस्कृति बड़ी प्राचीन है। यह स्वयं में इतनी व्यापक, मौलिक तथा चिंतनपरक है कि इसे किसी विशिष्ट संस्कृति की परिधि में आबद्ध नहीं किया जा सकता। जैन धर्म और संस्कृति ने विश्व की अनेक संस्कृतियों को किसी-न-किसी रूप में प्रभावित किया है।
कहानी साहित्य की एक प्रमुख विधा है, जिसे सबसे अधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई है। हमारे प्राचीनतम साहित्य में कथा के तत्त्व जीवित हैं।
जैन कथा साहित्य न केवल भारतीय कथा साहित्य का जनक रहा है, अपितु संपूर्ण विश्व कथा साहित्य को उसने प्रेरणा दी है। भारत की सीमाओं को लाँघकर जैन कथाएँ अरब, चीन, लंका, यूरोप आदि देश-देशांतरों में पहुँची हैं और अपने मूल स्थान की भाँति वहाँ भी लोकप्रिय हुई हैं।
जैन कथा साहित्य के कथानक बड़े मर्मस्पर्शी हैं और व्यापक भी। जीवन के शाश्वत तत्त्वों का इनमें निरूपण हुआ है तथा पात्रों का चरित्र स्वाभाविक रूप में होने के कारण सर्वग्राह्य बन पड़ा है। इन कहानियों में तीर्थंकरों, श्रमणों एवं श्लाकापुरुषों की जीवनगाथाएँ मुख्य हैं, जिनमें धर्म के सिद्धांतों का स्पष्टीकरण होता चलता है।
प्रस्तुत पुस्तक की जैन कहानियों में कथोपकथन के माध्यम से केवल मनोविनोद ही नहीं होता, बल्कि उनमें जीवन की सरस अनुभूतियों के साथ संस्कृति, सभ्यता, दर्शन तथा धर्म की व्याख्या भी मिलती है।
लेखक परिचय
ध्रुव कुमार
जन्म: 20 दिसंबर, 1965।
शिक्षा : प्राचीन भारतीय इतिहास एवं तत्व तथा पत्रकारिता में एम.ए., म.एड., एम.फिल. एवं पी.एच-डी.।
प्रकाशन : 'जैन धर्म और बिहार',
'जन धर्म की कहानियाँ', 'जैन धर्म के चौबीस तीर्थकर', 'बिहार-झारखंड के जैन तीर्थ स्थल', 'जैन शिक्षा', 'स्त्री शिक्षा', 'किताबों की दुनिया: पटना पुस्तक मेला' सहित डेढ़ दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित ।
विगत ढाई दशकों से रंगकर्म, पत्रकारिता एवं समाचार वाचन कार्य में सक्रिय। कई दैनिक पत्रों एवं पत्रिकाओं में संवाददाता, उप-संपादक तथा म्यूरोचीफ रहे।
आमुख
अपना देश कितने ही धर्मो, विचारधाराओं और संस्कृतियों का संगम है। सहिष्णुता का उद्घोष यहाँ के वायुमंडल में अति प्राचीनकाल से निनादित होता रहा है। कुल मिलाकर धर्म का उद्देश्य यहाँ जीवन को सुखद और कल्याणकारी बनाने का रहा है। जैन धर्म एक धार्मिक मत ही नहीं बल्कि एक संपूर्ण सामाजिक जीवन-दर्शन है, जिसका व्यापक और गहरा प्रभाव भारतीय जनमानस और यहाँ की संस्कृति पर परिलक्षित होता है। सामाजिकता का स्वरूप ग्रहण करने के कारण जैन धर्म के आदर्श पुरुषों के साथ अनेक किंवदंतियाँ जुड़ने लगीं। यह तय कर पाना मुश्किल है कि इन किंवदंतियों में सत्य का कितना अंश है। यह भी सत्य है कि जीवन-निर्माण के लिए सुंदर, प्रेरणाप्रद कथा-साहित्य की उपयोगिता सुनिश्चित है। प्रेरक साहित्य के माध्यम से हमारे जीवन में संस्कार पनपते हैं और हम इससे प्रेरित भी होते हैं। जैन साहित्य का कथा भाग बहुत ही समृद्ध और विशाल है। हजारों विषयों पर सैकड़ों प्रकार के कथानक, जीवन-चरित्र, घटनाएँ और रूपक विद्यमान हैं। आचार्यों ने आम लोगों को सुलभ और बोधगम्य बनाने के लिए विविध कथा-चरित्रों का प्रणयन और संकलन करके जैन साहित्य को ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य को भी बहुत समृद्ध बनाया है। जैन वाङ्मय में कथा-साहित्य का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है।