गोस्वामी तुलसीदास और उनके रामचरित मानस ने धर्मप्राण भारतीय जनमानस को जितना प्रभावित किया है उतना अन्य कोई रचनाकार अथवा उसका कृतित्व नहीं कर सका। श्री सिंह की जीवन दृष्टि में तथा उनके कृतित्व में भी इस प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। भगवान राम उनके आराध्य हैं। प्रस्तुत कृति बिस्वरूप रघुबंस मनि रामचरित मानस पर आधारित निबंधों का एक लघु संग्रह है जिसमे कुल ग्यारह भक्तिभाव पूर्ण निबंध संग्रहीत किये गये हैं। इनमें से तुलसी विषयक एक निबंध को छोड़कर शेष सभी के शीर्षक भी गोस्वामी तुलसीदास की काव्य पक्तियों से लिए गये हैं। सभी निबंधों में भक्ति रस का प्राधान्य है।
क्रान्तिवीर तेजसिंह (नाटक), बहादुर बंदा बैरागी (उपन्यास)
तथा खण्डित प्रतिमा (कहानी संग्रह) के रचनाकार प्रो० नेत्रपाल सिंह हिन्दी साहित्य जगत में एक सफल और सशक्त साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके हैं। इन तीनों साहित्यिक कृतियों में उन्होंने न केवल इस देश की संस्कृति और स्वाधीनता के प्रति अपनी लेखन प्रतिबद्धता उजागर की है बल्कि एक नाटककार व कथाकार के रूप में अपना अद्भुत रचना कौशल भी सिद्ध कर दिया है। प्रस्तुत निबंध संग्रह को गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस के प्रति उनके प्रेम तथा प्रभु श्रीराम के प्रति उनकी भक्ति भावना की निश्छल अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाना चाहिए।
अंग्रेजी साहित्य के अध्ययन अध्यापन ने प्रो० सिंह को यदि व्यापक भावभूमि और अनुभूति की भंगिमाओं का फलक प्रदान किया है तो भारतीय सनातन धर्म के सरकारों ने उनके वैचारिक दृष्टिकोण को एक ठोस आधार प्रदान किया है। हिन्दी तथा अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं पर उनका अच्छा अधिकार है। अतः विश्वास है कि हिन्दी साहित्य को उनकी लेखनी से अभी बहुत कुछ ऐसा प्राप्त होगा जो सरस सार्थक एवं स्थायी महत्व का होगा।
Hindu (हिंदू धर्म) (13443)
Tantra (तन्त्र) (1004)
Vedas (वेद) (714)
Ayurveda (आयुर्वेद) (2075)
Chaukhamba | चौखंबा (3189)
Jyotish (ज्योतिष) (1543)
Yoga (योग) (1157)
Ramayana (रामायण) (1336)
Gita Press (गीता प्रेस) (726)
Sahitya (साहित्य) (24544)
History (इतिहास) (8922)
Philosophy (दर्शन) (3591)
Santvani (सन्त वाणी) (2621)
Vedanta (वेदांत) (117)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist