लेखक परिचय
ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में सुदीर्घ काल से चली आ रही पञ्च द्रविडान्तर्गत काश्यप गोत्रीय लाहौर निवासी सर्वशास्त्रज्ञ तपोनिष्ठ ब्राह्मण व्यास अम्बाजी की विद्वत् कुल परम्परा में जयपुर से पूर्व आमेर राज्य में भारत विख्यात 'जयविनोदी पञ्चाङ्ग' के आद्य प्रवर्तक वेध-विद्या-निपुण त्रिस्कन्ध ज्योतिषशास्त्र के परमाचार्य पं रामकृष्ण जी श्रीमाली के वंशज जयपुर राज्य के प्रधान राज्य ज्योतिषी स्वनामधन्य पं. नारायणात्मज मदनमोहन शर्मा के पुत्र पं. राकेश शर्मा का जन्म 19 जून, 1941 ई. को
आपने आचार्य प्रवर पं. श्री गिरिजाप्रसाद जी द्विवेदी से मन्त्र दीक्षा प्राप्त कर उनके चरण कमलों में बैठकर आगम-निगम व ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान प्राप्त किया। एम.ए. की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात् आप परम्परागत 'जयविनोदी पञ्चाङ्ग' का निर्माण अपने अनुज पं. आदित्य मोहन शर्मा के साथ कर रहे हैं। साथ ही 'पञ्चाङ्गदर्पण' व 'वेधशाला पञ्चाङ्ग' का निर्माण किया। आपने पं. गङ्गाधरजी द्विवेदी द्वारा सम्पादित दुर्गा-पुष्पाञ्जलि, आगमरहस्यम्, दशकण्ठवधम् आदि ग्रन्थों के प्रकाशन में सहयोग दिया, प्रश्न-प्रबोध, महिम्न स्तोत्र, देव्यथर्वशीर्ष, महालक्ष्मी पूजन पद्धति आदि पुस्तकों का सम्पादन किया एवं पं. गिरिजाप्रसाद द्विवेदी सपाद शताब्दी-ग्रन्थ, पं. मदनमोहन शर्मा शताब्दी ग्रन्थ एवं तन्त्र-वेद भेद निराकरण (आगम-निगम भेद निरास) का प्रणयन किया है।
प्रस्तावना
पुराण सनातन धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक हैं, जो इतिहास, धर्म, दर्शन, नीति, भक्ति, सृष्टि, प्रलय, और देवी-देवताओं की कथाओं से जुड़े हुए हैं। वे वेदों की गूढ़ शिक्षाओं को सरल भाषा में प्रस्तुत करने के लिए रचे गए थे ताकि सामान्य लोग भी उन्हें समझ सकें।
पुराणों में हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों, देवी-देवताओं की कथाओं और धार्मिक अनुष्ठानों का वर्णन किया गया है।
वेदों की दार्शनिक अवधारणाओं को पुराणों ने कहानियों और उपाख्यानों के माध्यम से जनता के लिए सुलभ बनाया।
इनमें मोक्ष, कर्म, पूर्वजन्म, पुनर्जन्म, और धर्म जैसे गूढ़ विषयों की व्याख्या की गई है।
पुराणों में भारत के प्राचीन इतिहास, राजवंशों और युद्धों की जानकारी मिलती है।
वे भारतीय समाज की सांस्कृतिक परंपराओं, लोकाचार और रीति-रिवाजों को संरक्षित रखने का कार्य करते हैं।
इन ग्रंथों में प्राचीन भारत के विज्ञान, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, वास्तुकला और गणित का भी वर्णन मिलता है।
पुराणों की कथाएँ नैतिकता और धर्म के पालन का मार्ग दिखाती हैं।
रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की कथाएँ पुराणों में विस्तृत रूप से मिलती है, जो जीवन में कर्तव्य, साहस, न्याय और सत्य का पालन सिखाती हैं।
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