| Specifications |
| Publisher: THE DIVINE LIFE SOCIETY | |
| Author Swami Sivananda | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 167 (28 B/W Illustrations) | |
| Cover: Paperback | |
| 8.5 inch X 5.5 inch | |
| Weight 200 gm | |
| Edition: 2016 | |
| ISBN: 8170522072 | |
| NAI644 |
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पुस्तक के विषय में
हमारे प्राचीन ऋषि मुनियो और सन्तों द्वारा निर्धारित कि गयी तथा स्वयं अभ्यास में लायी गयी हठयोग पद्धति अन्य समस्त शारीरिक व्यायामों में विलक्षण और बेजोड़ है | यह सबसे अधिक सही पद्धति है | इसके द्वारा मस्तिष्क, मांसपेशियाँ, नसें, अंग प्रत्यंग, स्नायु तथा ऊतक (टिशू) सभी स्वस्थ और शक्ति सम्पन्न हो जाते है | सभी पुराने रोग जड़ से चले जाते है | इसमें षट्कर्म, आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बन्ध, तथा एकाग्रता और ध्यान के अभ्यास सभी आते है |
आसनो का सम्बन्ध स्थूल शरीर से है | वह हमारे शरीर को स्थिर और सीधा बनाते है तथा शरीर सम्बन्धी बीमारियो को दूर करते है | बन्धो का सम्बन्ध प्राणो से है | वह प्राण और अपान को बाँध कर संयुक्त करते तथा संयुक्त प्राणो को सुषुम्ना नाड़ी द्वारा ऊपर की और अग्रसर करते है | मुद्राओ का सम्बन्ध मन से है | यह आबद्ध करने का प्रतिक है | वह मन को आत्मा से आबद्ध कर देती है | वह मन को बाह्रय विधाय वस्तुओ में भटकने के लिए जाने नही देती | बाहगामी मन को निरुद्ध करके यह उसे अन्त स्थित आत्मा की और निर्दिष्ट करती है और वहीं हृदय प्रकोष्ठ में ही स्थित कर देती है | पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए इन सभी व्यायामों को संयोजित करके करने की आवश्यकता है |

















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