| Specifications |
| Publisher: ISKCON | |
| Author Bhaktivedanta Swami Prabhupada | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 101 | |
| Cover: Paperback | |
| 7.0 inch x 5.0 inch | |
| Weight 90 gm | |
| Edition: 2015 | |
| ISBN: 9789382716594 | |
| NZK468 |
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भीख मानगो, चोरी करो या उधर लो, रिश्वत दो या धोका दो, कैसे भी करके धन कमाओ और ख़ुशी मनाओ | अथवा कम से कम जीवित रहो |
किसी भी हालात मे, क्या हम यह सोचने के लिए ठहरते है, कि कदाचित हम अपने कार्यो के लिए जिम्मेदार ठहराए जाएंगे? यदि शास्त्रों में वर्णित नरकयातनाएं सच होंगी तो हमारा क्या होगा? 'प्रकृति के नियम' में, श्रील प्रभुपाद, जो बीसवीं शताब्दी के सबसे बड़े तत्वज्ञानियों में से एक है, हमे बताते है कि, पाप क्या है और कौनसे दुष्कर्म के लिए किसे क्या दण्ड भुगतान पड़ता है | इसका निष्कर्ष अटल है- अधिकतर लोग उस भविष्य कि ओर जा रहे है, जो बहुत सुखद नही है |
यह कोई मज़ाक कि बात नही | कदाचित आपको यह पुस्तक पढ़नी चाहिए, और इससे पहले कि बहुत देर हो जाये, पता लगाना चाहिए कि, क्या करना चाहिए |













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