| Specifications |
| Publisher: Vani Prakashan | |
| Author Vishnu Dey | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 235 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9.0x6.0 Inch | |
| Weight 400 gm | |
| Edition: 2025 | |
| ISBN: 9789369443543 | |
| HBR111 |
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विष्णु डे
(1909-1982) आधुनिकतावाद, उत्तर-आधुनिकतावाद के युग में एक बंगाली कवि, लेखक और शिक्षाविद्
थे। उन्होंने कृष्णनगर कॉलेज में व्याख्याता (1934-1940) और सुरेन्द्रनाथ कॉलेज
(1940-1944), प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में रीडर (1944-1947); मीलाना आज़ाद कॉलेज
में प्रोफ़ेसर जैसी विभिन्न क्षमताओं के साथ विभिन्न संस्थानों में अंग्रेजी साहित्य
पढ़ाया। उनकी महत्त्वपूर्ण कृतियाँ हैं-उरवोशी ओ आर्टेमिस, चोरवाली, पुरवोलेख, अन्विष्टा,
अलेख्य, स्मृति सत्ता भविष्यत्, इशावाश्यो दिवनिशा, रवी कोरोज्जोल निजोदेशे आदि। वे
'साहित्य अकादेमी पुरस्कार', 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' आदि से सम्मानित किये गये।
कवि के काव्य-विकास
के सभी चरणों की परिणति, उनके चिन्तन की सभी धाराओं का संगम, हमारे राष्ट्रीय जीवन
के त्रिकाल-गामी आयामों का आकलन, शैली-शिल्प की परिपक्वता और विविधता, सबका स्थायी
प्रतिफलन इस कृति में हुआ है। कवि की दृष्टि ने यहाँ मुक्त इतिहास और मानव-भाग्य, व्यक्ति
का एकाकीपन और समाज की सामूहिक चेतना, वर्तमान के परिवेश की विच्छिन्नता और अतीत की
अनवरतता आदि द्वन्द्वों को भविष्य के उन्नयन की आस्था में समाहृत किया है। जिस शीर्षक
पर संग्रह आधारित है, उसके तीन शब्दों की लघुता में व्यक्ति और समष्टि के अतीत (स्मृति),
वर्तमान (सत्ता) और भविष्य (भविष्यत्) का चित्रफलक प्रस्तुत किया गया है। कवि की जीवन-दृष्टि
को जिस प्रतीक-कथा के माध्यम से यह कविता व्यक्त करती है, वह सन्दर्भरवीन्द्रनाथ की
एक रचना से लिया गया है। विवाह के मण्डप में सब तैयारियाँ हो चुकी हैं, अभ्यागत जा
गये हैं; पान रचाये.।
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