लेखक परिचय
स्वामी विद्यानन्द लब्ध प्रतिष्ठित योग-प्रणेता हैं। आपने योग के क्षेत्र में 'ट्रान्सफोर्मेशनल योगा' की शुरुआत की। आधुनिक युग के लोगों के लिए योग की यह विशेष पद्धति एक वरदान है। श्री अरविन्दो और श्रीमों के इन्टीग्रल योगा का आप पर विशेष प्रभाव है। श्री अरविन्दो आश्रम दिल्ली में एक दशक से अधिक समय तक आपने योगा का शिक्षण प्रदान किया। योग की गहराइयों में उतरकर आपने नई सम्भावनाओं को तलाशा जिसके फलस्वरुप आपने एक नूतन योग-पद्धति का विकास किया। आप श्रीमाँ इन्टरनेशनल स्कूल ऑफ ट्रान्सफोर्मेशनल योगा के आध्यात्मिक आचार्य एवं संस्थापक हैं। आप योगा एलायंस इन्टरनेशनल, योगा अलायंस इंडिया, योगा अलायंस यूरोप, योगा अलायंस अमेरिका योगा अलायंस अफ्रीका के संस्थापक अध्यक्ष हैं। आपकी योगा पद्धति की विश्व में एक खास पहचान है। भारत की ख्यातिप्राप्त संस्था 'प्रेस्टिजियस भारत निर्माण' ने योग के क्षेत्र में आपके व्यक्तिगत विशेष योगदान को बहुमान देते हुए आपको अपना सर्वोच्च सम्मान 'भास्कर अवार्ड' प्रदान किया।
प्राक्कथन
यह पुस्तक सक्रिय गति से शारीरिक अंगों के संचालन को रोति और आत्म-विशुद्धि की प्रक्रिया से आपको अवगत कराती है जो बहुआयामी है। हमारे मूल सिद्धान्त इसी लक्ष्य पर आधारित हैं। लक्ष्य की प्राप्ति निर्धारित अभ्यास से संभव है। संपूर्ण विधियाँ एवं प्रणालियाँ 'योग' के सार्वभौम एवं महत्वपूर्ण सिद्धान्तों पर आधारित हैं और इसके निर्धारित प्रयोग हैं। योग का अभ्यास करनेवाले भाई-बहन इस पुस्तक में उल्लिखित कुछ विधियों से परिचित होंगे और कुछ विधियाँ उनके लिए नई होंगी। प्रश्न उठता है कि ये महत्वपूर्ण क्यों है? संक्षेप में, यह कह सकते हैं कि ये विधियाँ सही मायने में ज्ञान व विवेक का विकास करती हैं, मन में आनन्द भरती है और परम आत्मा से सीधा संपर्क कराती हैं। ऐसा तब संभव हो पाता है. जब आप अन्तर आत्मा पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं। विधियों का अभ्यास सरल है और इसे हर उम्र एवं हर प्रकार की शारीरिक आकृति के लोग सहज रूप में कर सकते हैं। यहाँ एक तथ्य अत्यन्त महत्वपूर्ण है। कोई व्यक्ति जब अपनी अन्तर-आत्मा पर ध्यान केन्द्रित करता है और प्राप्त अनुभवों पर शीघ्रता से अमल करता है तो उसकी अन्तर-आत्मा शुद्ध (कषाय मुक्त) होने लगती है और इससे उसके बाह्य जीवन (सांसारिक जीवन) पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सच्चे अर्थों में, यही आपके आन्तरिक ज्ञान का विकास है जो आपके व्यक्तित्व के आकर्षण को और अधिक बढ़ाता है। प्रायः अधिकतर लोगों के लिए विधि का 10 से 40 दिनों तक अभ्यास करना जरूरी है। अलग-अलग प्रशिक्षक अभ्यास की तैयारी एक निर्धारित अवधि में कराते हैं। शब्दों की अभिव्यक्ति के द्वारा योग के प्रति रुचि पैदा होना यह तो योग की दिशा में पहला कदम है। जीवन के धरातल पर यौगिक क्रियाओं को उतारकर ही योग के लाभ को जाना जा सकता है। योग के द्वारा आपका जीवन अवश्य ही अनुशासित, संयमित, नियंत्रित, समयबद्ध, एकाग्र, सक्रिय, श्रमशील एवं आनन्ददायक होगा ऐसा विश्वास है।
पुस्तक परिचय
योगा एक प्राच्य-विद्या है। प्रारंभिक काल से लेकर अबतक इसके अनेक स्वरूप विकसित हुए और आज भी प्रचलन में हैं। योगा की अद्भुत शक्ति का यह जीवंत प्रमाण है। 'ट्रान्सफोर्मेशनल योगा' पारम्परिक योगाभ्यास का एक नया अवतरण है। यह पद्धति लाभ के अनेक आयामों को अपने अन्दर समेटे हुए है। इस पद्धति के द्वारा आप शरीर, मन और आत्मा के साथ सीधे जुड़ते हैं। अन्य पद्धतियों की तुलना में यह पद्धति आपको अधिक-से-अधिक भौतिक स्वस्थता प्रदान करने में सक्षम है। इसका अभ्यास सरल और सहज है। प्रजनन सम्बन्धी कठिनाइयों एवं मासिक-धर्म सम्बन्धी समस्याओं में भी यह लाभ पहुँचाती है। यह पुस्तक हठयोग, राजयोग, अष्टांग योग, कुंडलिनी जागरण, तंत्र, मंत्र आदि पद्धतियों से भी आपको अवगत कराती है ताकि आपके शारीरिक स्वास्थ्य एवं स्फूर्ति में तेजी से सकारात्मक परिवर्तन आए, आपका मानसिक संतुलन बने, आपके मन-मस्तिष्क को उत्कृष्ट मार्गदर्शन मिले, आपमें निःस्वार्थ प्रेम और अटूट विश्वास की भावना विकसित हो एवं आपकी चेतना में आध्यात्मिक जागरण का अभ्युदय हो। 'ट्रान्सफोर्मेशनल योगा' सघन स्तर पर शरीर का पूर्ण शोधन एवं ऊर्जा का संचार करने में सहायक है। यदि आप यह सोचते हैं कि 'ट्रान्सफोर्मेशनल योगा' आपके लिए कारगर नहीं हो सकता तो पहले आप अपनी इस सोच को दूर भगाएँ। एक बात याद रखें आप पूर्ण स्वस्थ तभी बन सकते हैं जबकि आप शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक तीनों दृष्टियों से स्वस्थ हाँ। ट्रान्सफोर्मेशनल योगा आपके सम्पूर्ण एवं सम्यक् स्वास्थ्य के लिए है।
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