अत्यंत सहज और ठंडी भाषा के माध्यम से ये कहानियाँ हमारे समक्ष जिस यथार्थ का उद्घाटन करती हैं! उसके पीछे समकालीन जन-जीवन की बहुविध विडंबनाओं को महसूस किया जा सकता है! सपनों की वास्तविकता से अपरिचित बच्चों की ख़ुशी हो या बिरादरी की दलदल में फँसे व्यक्ति की मनोदशा-लेखकीय दृष्टि उन्हें एक अर्थ-गांभीर्य से भर देती है! उसके पास आदर्शवादी निर्णय हैं तो उनके सामने खड़ा कठोर और भयावह यथार्थ भी हैं!
वस्तुत: शेखर जोशी को ये कहानियाँ बिना किसी शोर-शराबे के हमारी सोच के विभिन्न स्तरों को स्पर्श और झंकृत करनेवाले रचनात्मक गुणों से परिपूर्ण हैं!
अत्यंत सहज और ठंडी भाषा के माध्यम से ये कहानियाँ हमारे समक्ष जिस यथार्थ का उद्घाटन करती हैं! उसके पीछे समकालीन जन-जीवन की बहुविध विडंबनाओं को महसूस किया जा सकता है! सपनों की वास्तविकता से अपरिचित बच्चों की ख़ुशी हो या बिरादरी की दलदल में फँसे व्यक्ति की मनोदशा-लेखकीय दृष्टि उन्हें एक अर्थ-गांभीर्य से भर देती है! उसके पास आदर्शवादी निर्णय हैं तो उनके सामने खड़ा कठोर और भयावह यथार्थ भी हैं!
वस्तुत: शेखर जोशी को ये कहानियाँ बिना किसी शोर-शराबे के हमारी सोच के विभिन्न स्तरों को स्पर्श और झंकृत करनेवाले रचनात्मक गुणों से परिपूर्ण हैं!