| Specifications |
| Publisher: D. K. Printworld Pvt. Ltd., Indira Gandhi National Centre For The Arts | |
| Author: केदार नाथ शुक्ल (Kedar Nath Shukla) | |
| Language: Sanskrit Text with Hindi Translation | |
| Pages: 158 | |
| Cover: Paperback | |
| 8.5 inch X 5.5 inch | |
| Weight 230 gm | |
| Edition: 2021 | |
| ISBN: 9788124607985 | |
| NZF612 |
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सूर्य सिध्दान्त भारतीय खगोलकी का सबसे प्राचीनतम ग्रन्थ है! सौर -मंडल के ग्रहों की गति का यह ज्ञान, सूर्य सिध्दान्त, साक्षात सूर्यदेव ने उपनिषद् परम्परा में मयासुर को दिया था जो कालांतर में मौखिक रूप से प्रचलित हुआ ! वराहमिहिर (५०५-८७ ईसा पूर्व) ने अपनी पंचसिध्दान्तिका में सूर्य सिध्दान्त का वर्णन किया है! सूर्य सिध्दान्त का यह रूपान्तरण श्रध्देय इव्नेजीर बुरगेस (सन १८६०) एवं पं. बापूदेव शास्त्री (सन १९६१) के प्रसिध्द अंग्रेजी रुपांतररणों पर आधारित है! चौदह अध्यायों की इस पुस्तक में समय की इस्काइयों, देवों एवं असुरों का वर्षकाल, ब्रह्मा के दिन और रात, सृष्टि का रचना-काल ग्रहों की पूर्वगामी गति, एवं नक्षत्र परिभारमन का सार्थक वर्णन प्रस्तुत है! पृथ्वी की व्यास एवं परिधि का परिमाप दिया गया है! ग्रहण एवं चन्द्रग्रहण के अंशों के रंगो की चर्चा है! इन विषयों पर आढ्नुनिक व्याख्या परिशिष्टों में की गई है! खगोलकी के शोधकर्ताओं एवं अन्य पाठकों को यह पुस्तक रुचिकर लगेगी!
प्रो. केदार नाथ शुक्ल ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के एम. एस. सी . (१९६६) एवं वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय से पी. एच. डी.(१९७३) की उपाधि अर्जित की है! विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, त्रिवेंद्रम एवं कारुण्या विश्वविद्यालय कोयम्बटूर में सेवा प्रदान की! गुड़गाओं कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में निदेशक रहे है! स्टुटगार्ट विश्वविद्यालय में अनुसंधान हेतु अलेक्जेंडर वान हुम्बोल्ड्ट फेलोशिप प्राप्त हुई! तदनुसार म्यूनिख एवं डार्मस्टाट के प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालयों में हुम्बोल्ड्ट फाउंडेशन के आंमत्रण पर शोध किया! आप यूनिवर्सिटी ऑफ़ एप्लाइड सांइसेज ,रोजेन्हाईम, जर्मनी में अतिथि प्रोफेसर के रूप में अध्यापन कर चुके है!



















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