पुराण शब्द ‘पुरा’ एवं ‘अण’ शब्दों की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ -‘पुराना’ अथवा ‘प्राचीन’ होता है । ‘पुरा’ शब्द का अर्थ है - अनागत एवं अतीत । ‘अण’ शब्द का अर्थ होता है - कहना या बतलाना अर्थात् जो पुरातन अथवा अतीत के तथ्यों, सिद्धांतों, शिक्षाओं, नीतियों, नियमों और घटनाओं का विवरण प्रस्तुत करे। सूर्य की किरणों की तरह पुराण को ज्ञान का स्रोत माना जाता है। जैसे सूर्य अपनी किरणों से अंधकार को हटाकर उजाला कर देता है, उसी प्रकार पुराण अपनी ज्ञानरूपी किरणों से मानव के मन का अंधकार दूर करके सत्य के प्रकाश का ज्ञान देते हैं। सनातनकाल से ही जगत् पुराणों की शिक्षाओं और नीतियों पर ही आधारित है।प्राचीनकाल से ही पुराण देवताओं, ऋषियों, मनुष्यों - सभी का मार्गदर्शन करते आ रहे हैं। पुराण मनुष्य को धर्म एवं नीति के अनुसार जीवन व्यतीत करने की शिक्षा देते हैं। पुराण मनुष्य को दुष्कर्म करने से रोकते हैं। वेदव्यासजी ने पुराणों की जो कि वास्तव में अनादि हैं , पुनर्रचना की । जिसका अर्थ है जो वेदों का पूरक हो, अर्थात् पुराण। प्रेम, भक्ति, त्याग, सेवा, सहनशीलता ऐसे मानवीय गुण हैं, जिनके बिना समाज की उन्नति हो ही नहीं सकती।
पुराणों में एक विचित्रता यह है कि प्रत्येक पुराण में अठारहो पुराणों के नाम और उनकी श्लोक संख्या है। नाम और श्लोक संख्या प्रायः सबकी मिलती है, कहीं कहीं अन्तर है। जैसे कूर्मपुराण में अग्नि के स्थान में वायुपुराण; मार्कंडेय पुराण में लिंगपुराण के स्थान में नृसिंहपुराण; देवीभागवत में शिवपुराण के स्थान में नारद पुराण और मत्स्य में वायुपुराण है।प्रश्न : महापुराण कितने हैं और कौन कौन से हैं ?उत्तर : पुराण अठारह हैं। आइये इन १८ पुराणों के बारे में संक्षिप्त में जानकारी लेते हैं :
The Brahma Purana: Complete English Translation (Set of 2 Volumes)
पद्मपुराणम् - Padma Purana (Set of 2 Volumes)
Vishnu Purana
The Siva Purana (Three Volumes)
नारद पुराण (सरल हिन्दी भाषा में): The Narada Purana
अग्निपुराण (केवल हिन्दी अनुवाद) - The Agni Purana
श्रीभविष्यमहापुराणम्: Bhavishya Purana (Set of 3 Volumes)
श्री लिंग पुराण: Linga Purana Retold in Simple Hindi Language
श्रीवराहपुराणम् (संस्कृत एवं हिंदी अनुवाद)- Shri Varaha Purana
स्कन्द महापुराणम् (संस्कृत एवं हिन्दी अनुवाद): Skanda Purana - Kashi Khanda (Vol-IV)
वामन-पुराणम: Vamana Purana
The Matsya Purana (Set of 2 Volumes)
Sri Garuda Purana
The Brahmanda Purana (Set of 6 Books in English and Sanskrit)
इन पुराणों में न केवल ईश्वर, राजाओं, और ऋषियों का बल्कि इस संसार की रचना से लेकर इसके विनाश का भी पूरा व्याख्यान मिलता है। पुराणों में इस संसार के भौगोलिक स्थिति और राशि विज्ञान व हमारे सामन्य विज्ञान से जुडी भी चीज़ों का भी ज्ञान मिलता है। पुरे ब्रह्माण्ड की संरचना किस प्रकार हुई और किसने की ये सब कुछ पुराणों मैं मिलता हैं।प्रश्न: पुराणों की संख्या १८ ही क्यों है ?उत्तर : हिन्दू धर्म में १८ की संख्या को बहुत ही शुभ और पवित्र माना गया है।* अणिमा , महिमा , लघिमा, इत्यादि सिद्धियां १८ ही मानी जाती है।* सांख्य दर्शन में १८ ही तत्त्व वर्णित है -- पांच महाभूत, पांच ज्ञानेन्द्रियाँ, पांच कर्मेन्द्रियाँ और तीन - मन,प्रकृति और अहंकार ।* छह वेदांग, चार वेद, आदि १८ प्रकार की विद्याएं मानी जाती है ।* काल के १८ भेद बताएं गए हैं ।* श्रीमदभगवद गीता में १८ अध्याय हैं ।* माँ दुर्गा के १८ विशिष्ट स्वरुप माने गए हैं ।
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