भूमिका
राहु एक ऐसा ग्रह है जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से प्रायः भौतिकवाद, महत्वाकांक्षा, लालच, शरारत, भय, असंतोष, आसक्ति, भ्रम, रहस्य, विज्ञान और गूढ़ विद्याओं से जोड़ा जाता है। ये सभी तत्व अक्सर (हालाँकि हमेशा नहीं) आध्यात्मिक आनंद या मोक्ष की प्राप्ति के विपरीत माने जाते हैं। पुराणों में राहु को भगवान विष्णु के वराह (सूअर) अवतार से जोड़ा गया है, जैसे कि नौ ग्रहों को भगवान विष्णु के नौ अवतारों में से एक-एक से संबद्ध किया गया है। राहु जब अपने उच्चतम सिद्धांत पर कार्य करता है, तब वह ब्रह्मांड की रक्षा और उद्धार भी कर सकता है-जैसा कि भगवान विष्णु के सभी अवतारों का मुख्य उद्देश्य रहा है। राहु की ऊर्जा का संबंध देवी दुर्गा से भी है, और देवी की आराधना द्वारा हम अपनी राहु ऊर्जा को उन्नत कर सकते हैं तथा इसे सकारात्मक और उचित दिशा में लगाकर देवी को प्रसन्न कर सकते हैं। ऐसे में यह मानना कठिन प्रतीत होता है कि राहु की ऊर्जा किसी जातक को आध्यात्मिक विकास की दिशा में अग्रसर नहीं कर सकती, जबकि स्वयं भगवान विष्णु और देवी दुर्गा इस ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं। निबंध का मूल सार यह तर्कपूर्ण निबंध एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करता है: राहु की आध्यात्मिक प्रकृति के पीछे वास्तविकता क्या है? वैकल्पिक रूप से कहें तो क्या राहु आध्यात्मिकता को उत्पन्न करता है अथवा प्रदान करता है या नहीं? (यह ध्यान देने योग्य है कि "बीज बोना" और "प्रदान करना" दोनों एक जैसे नहीं हैं।) वैदिक ज्योतिष के व्यापक साहित्य में इस प्रश्न की नवीनता इस बात में है कि अब तक कोई भी प्रामाणिक और तार्किक रूप से पुष्ट विश्लेषण इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है कि राह में किसी जातक को आध्यात्मिकता प्रदान करने की क्षमता नहीं है। लोकमत यह है कि राह एक पाप ग्रह है जो प्रायः मानव व्यवहार के भौतिकवादी, अध्यात्म विरोधी पहलुओं को प्रेरित करता है और उसमें आध्यात्मिकता के बीज बोने की क्षमता नहीं होती। यद्यपि यह मत अब भी कुछ हद तक स्वीकार्य हो सकता है फिर भी इस विषय पर एक सुसंगत, विश्लेषणपरक और तार्किक ज्योतिषीय अध्ययन करने की हमारी प्रेरणा इसीलिए बनी ताकि इस धारणा के पक्ष या विपक्ष में अधिक ठोस सांख्यिकीय आधार प्रस्तुत किया जा सके। अंततः, वैदिक ज्योतिष का एक प्रमुख संकट पिछले एक दशक में यह रहा है कि इस विषय पर विविध और असंगत मतों का अंबार तो है, लेकिन उनमें तर्क, गहराई और सबसे महत्वपूर्ण-उचित कुंडली-आधारित विश्लेषण का घोर अभाव रहा है। ऐसे विश्लेषण किसी भी मत को दृढ़ सांख्यिकीय आधार प्रदान करते हैं। इस निबंध के संदर्भ में, जिसे सांख्यिकीय परीक्षण की आवश्यकता है, वह यह है: क्या राहु किसी जातक को आध्यात्मिकता प्रदान करने में असमर्थ है? यह निबंध पराशरी प्रणाली के अनुसार एक तर्कपूर्ण और सुसंगत विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें अनेक कुंडलियों के आधार पर यह सांख्यिकीय रूप से स्थापित किया गया है कि, लोकप्रिय मतानुसार, राहु सीधे आध्यात्मिकता नहीं देता; किंतु यह पहले से अंतर्निहित आध्यात्मिकता को बीज रूप में उत्पन्न करने (जब अन्य तत्वों द्वारा किया गया हो), बनाए रखने और बाह्य रूप से प्रकट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह 'द्वितीयक' भूमिका प्रत्येक जातक के लिए आवश्यक नहीं होती.
पुस्तक परिचय
राहु और आध्यात्मिकता क्या पुराणों में वर्णित दैत्य राहु किसी जातक को आध्यात्मिक तत्व प्रदान कर सकता है? लोकप्रिय धारणा और एक सहज अंतः प्रेरणा इस विचार के विरुद्ध जाती है। किंतु, किसी भी विषय पर चाहे वह राहु और आध्यात्मिकता ही क्यों न होालोकप्रिय धारणा प्रायः तथ्यों और विश्लेषणों में रहित मत होती है। इसके अतिरिक्त, अंतः प्रेरणाएँ भी असत्य सिद्ध हो सकती हैं, विशेषतः जब विषय जटिल हो, जैसे कि ज्योतिष (वैदिक ज्योतिष)। यह पूर्णतः संभव है कि राह पर यह स्थापित धारणा सत्य हो, किंतु अभी तक इसे प्रमाणित करने हेतु कोई विधिपूर्वक ज्योतिषीय विश्लेषण नहीं किया गया है। चूंकि राहु को वैदिक ज्योतिष मे भगवान विष्णु के नौ अवतारों में से एक का प्रतिनिधि भी माना गया है, यह भी उतना ही संभव है कि यह धारणा असत्य हो। तथापि, इस संभावना को पुष्ट या खंडित करने हेतु कोई वेदसम्मत ज्योतिपीय अध्ययन उपलब्ध नहीं है। यह पुस्तक, एक तर्कात्मक निबंध के रूप में, इस अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न का सांख्यिकीय उत्तर देने का प्रयास करती है: राहु के आध्यात्मिक तत्व की सच्चाई क्या है? या वैकल्पिक रूप सेः क्या राहु आध्यात्मिकता का बीजारोपण करता है। और/या आध्यात्मिकता प्रदान करता है? यह निबंध ज्योतिषीय तकों और विधिपूर्वक प्रस्तुत किए गए अनेक जन्मकुंडली। अध्ययनों के आधार पर यह सांख्यिकीय निष्कर्ष प्रस्तुत करना है किः राहु स्वयं जातक को आध्यात्मिक तत्व नहीं देता। हालांकि, वह उन स्थितियों में जहां अन्य ग्रहों द्वारा आध्यात्मिकता का बीजारोपण पहले में हुआ हो, वहां राहु उस आध्यात्मिकता को बीज रूप में अंकुरित करने, उसे पोषित करने/समर्थन देने तथा बाह्य रूप से प्रकट करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
लेखक परिचय
डॉ. रंजन पान एक ज्योतिष विद्वान हैं, जिन्होंने वैदिक ज्योतिष अनुसंधान में डॉ. ऋचा शुक्ला के अधीन औपचारिक एवं व्यक्तिगत रूप से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। डॉ. शुक्ला स्वयं श्री के. एन. राव की प्रत्यक्ष शिष्य है। अपने कार्यक्षेत्र में, डॉ. रंजन पाल एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ हैं और वर्तमान में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT), अमेरिका में शोध वैज्ञानिक तथा प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है। वे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के एक कार्यसमूह के सदस्य है और विश्वभर में कई सरकारों एवं कॉपोरेशनों के रणनीतिक सलाहकार के रूप में सेवाएँ दे चुके हैं। उन्होंने पूर्व में यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज (यूके) तथा प्रिंमटन यूनिवर्सिटी (यूएसए) में शोध पदों पर कार्य किया है। इसके अतिरिक्त, वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान कलकता, तथा इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में आमंत्रित संकाय सदस्य भी रह चुके हैं।
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